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असम का चमत्कारी नवग्रह मंदिर जो एक साथ नौ ग्रहों का दोष करता है दूर, बदल देता है किस्मत का लिखा!

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ग्रहों की स्थिति इंसान की किस्मत, सेहत, करियर और शादी तक पर असर डालती है. कमजोर ग्रहों को मजबूत करने के लिए लोग रत्न पहनते हैं या पूजा-पाठ करवाते हैं, लेकिन असम में एक ऐसा मंदिर है जो एक साथ नौ ग्रहों के दोषों को मिटा देता है. गुवाहाटी की चित्रसाल पहाड़ियों में स्थित नवग्रह मंदिर को नौ ग्रहों को संतुलित करने वाला मंदिर कहा जाता है. यहां आने से जीवन की तमाम रुकावटें खत्म हो जाती हैं और किस्मत का सितारा चमकने लगता है.

18वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
नवग्रह मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था. कहा जाता है कि इसका निर्माण अहोम वंश के राजा राजेश्वर सिंह ने कराया था. समय के साथ मंदिर का कुछ हिस्सा प्राकृतिक आपदाओं में ढह गया था, लेकिन बाद में इसका पुनर्निर्माण हुआ. इस मंदिर में नौ शिवलिंग हैं, जो सौरमंडल के नौ ग्रहों — सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु — का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन सबके अधिपति भगवान शिव माने जाते हैं, इसलिए इसे ग्रह शांति के लिए सबसे शक्तिशाली स्थान माना गया है.

हर ग्रह के लिए अलग रंग का कपड़ा
मंदिर में हर ग्रह के शिवलिंग पर अलग रंग का वस्त्र अर्पित किया जाता है. उदाहरण के तौर पर सूर्य को लाल या नारंगी कपड़ा, चंद्रमा को सफेद, बुध को हरा, गुरु को पीला, शुक्र को गुलाबी, शनि को काला, राहु को नीला और केतु को स्लेटी रंग का वस्त्र चढ़ाया जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से ग्रहों की नकारात्मकता खत्म होती है और व्यक्ति की ऊर्जा में सकारात्मक बदलाव आता है.

कुंडली दोष और नवजात बच्चों के लिए खास स्थान
भक्तों का मानना है कि अगर किसी बच्चे की कुंडली में ग्रह दोष या अशुभ योग हो तो उसकी पूजा इस मंदिर में करवाने से ग्रह दोष दूर हो जाते हैं. यहां के ज्योतिषियों को बेहद अनुभवी माना जाता है. कई लोग अपने नवजात बच्चों की कुंडली यहीं बनवाते हैं ताकि जीवन में आने वाली मुश्किलों को पहले ही टाला जा सके.

सिलपुखुरी तालाब की रहस्यमय कहानी
मंदिर से थोड़ी दूरी पर एक सुंदर तालाब है, जिसे सिलपुखुरी कहा जाता है. इसे जादुई तालाब माना जाता है क्योंकि इसमें सालभर पानी भरा रहता है. मान्यता है कि ये तालाब नौ ग्रहों की ऊर्जा को स्थिर रखता है और मंदिर की शक्ति को बढ़ाता है.

नवग्रह मंदिर क्यों है खास?
कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति ग्रह दोष, शनि की साढ़ेसाती या राहु-केतु के प्रभाव से परेशान हो, वो अगर इस मंदिर में श्रद्धा से पूजा करे, तो उसकी सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं. ये मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि एक खगोलीय रहस्य का केंद्र है. जहां आस्था और विज्ञान दोनों का संगम देखने को मिलता है.

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