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क्यों की जाती है कालभैरव की पूजा? जानिए कौन से वर देते हैं भैरवनाथ और क्या है पूजा का सही तरीका

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हिंदू धर्म में भगवान शिव के कई रूप माने गए हैं — शांत, सौम्य, रक्षक और विनाशक. इन्हीं में से एक अत्यंत शक्तिशाली और रौद्र रूप हैं भगवान कालभैरव. मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से कालभैरव की पूजा करता है उसके जीवन से भय, दुख, दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है. कालभैरव को समय के देवता और धर्म के रक्षक भी कहा जाता है.

कहां से हुई कालभैरव की उत्पत्ति?
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार ब्रह्मा, विष्णु और शिव में सबसे श्रेष्ठ कौन है इस पर विवाद हुआ. उस समय ब्रह्मा ने भगवान शिव का अपमान कर दिया. इससे क्रोधित होकर शिव के क्रोध से एक तेजस्वी रूप उत्पन्न हुआ जिसे कालभैरव कहा गया. उन्होंने ब्रह्मा के अहंकार को समाप्त किया और तब से उन्हें अहंकार विनाशक कहा जाने लगा. कालभैरव के आठ रूपों को अष्ट भैरव कहा जाता है. जो संहार भैरव, रुरु भैरव, काल भैरव, कापाल भैरव, बटुक भैरव, चंड भैरव, भीषण भैरव और अनंत भैरव हैं. इनमें कालभैरव सबसे प्रमुख माने जाते हैं.

कालभैरव की पूजा क्यों की जाती है?
कहा जाता है कि कालभैरव की पूजा से भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव खत्म हो जाता है. जो व्यक्ति आर्थिक या मानसिक परेशानियों से गुजर रहा हो उसके जीवन में स्थिरता आती है.

शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान कालभैरव की कृपा से जीवन से भय और असुरक्षा दूर होती है. माना जाता है कि कालभैरव की आराधना करने वाले व्यक्ति को व्यापार और धन संबंधी रुकावटों से मुक्ति मिलती है. शत्रु और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं, घर में सुख-शांति आती है और आत्मिक बल बढ़ता है. कई लोग यह भी मानते हैं कि कालभैरव की पूजा करने से व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित कर सकता है और भविष्य में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाता है.

भैरवाष्टमी का खास महत्व
कालभैरव की आराधना के लिए साल का सबसे शुभ दिन होता है भैरवाष्टमी. ये दिन मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है. इस दिन भगवान शिव ने कालभैरव रूप धारण किया था. भक्त इस दिन उपवास रखकर कालभैरव मंदिरों में पूजा करते हैं और तेल का दीपक जलाते हैं. कहा जाता है कि इस दिन कालभैरव की सच्चे मन से आराधना करने से समय पर नियंत्रण पाने की शक्ति मिलती है और व्यक्ति अपने कर्मों का सही फल प्राप्त करता है.

कैसे करें कालभैरव की पूजा
सुबह स्नान करके काले वस्त्र धारण करें. इसके बाद कालभैरव की प्रतिमा या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं. भैरवनाथ को काली तिल, नींबू, नारियल और कुत्ते को भोजन चढ़ाना शुभ माना जाता है, क्योंकि कुत्ता कालभैरव का वाहन है. पूजा के समय “**ॐ ह्रीं कालभैरवाय नमः**” मंत्र का जाप करें.

भैरवनाथ से कौन से वर मिलते हैं?
कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से कालभैरव की आराधना करता है, उसे भयमुक्त जीवन, धन-वैभव, रोगों से मुक्ति और सफलता का वर मिलता है. कालभैरव समय के स्वामी हैं, इसलिए उनकी कृपा से व्यक्ति अपने कर्म और भाग्य पर नियंत्रण पा सकता है. जो लोग जीवन में अंधकार और असुरक्षा से घिरे रहते हैं, उनके लिए कालभैरव की पूजा एक दिव्य आश्रय मानी जाती है.

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