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गुप्तकाशी जहां भगवान शिव छिपे थे पांडवों से, यहीं शुरू हुई थी शिव-पार्वती की प्रेम कहानी

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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में बसा गुप्तकाशी ऐसा तीर्थस्थल है जो रहस्य, भक्ति और आस्था से भरपूर है. हिमालय की गोद में समुद्र तल से करीब 1,319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये जगह उतनी ही पवित्र है जितनी कि काशी. इसलिए इसे गुप्तकाशी कहा जाता है. गुप्तकाशी का जिक्र न केवल पौराणिक कथाओं में मिलता है, बल्कि ये स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी माना जाता है.

पांडवों से रुष्ट होकर यहां छिपे थे भगवान शिव
कहानी के मुताबिक महाभारत युद्ध के बाद जब पांडव अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की शरण में पहुंचे तो शिव उनसे नाराज होकर इस जगह आकर छिप गए. पांडवों ने उन्हें बहुत खोजा लेकिन शिव गुप्त ही रहे. इसी वजह से इस स्थान का नाम गुप्तकाशी पड़ा. माना जाता है कि बाद में भगवान शिव केदारनाथ में प्रकट हुए, लेकिन गुप्तकाशी उनकी इस गुप्त लीला का साक्षी बन गया. इसलिए यहां की पूजा के बिना केदारनाथ यात्रा अधूरी मानी जाती है.

शिव-पार्वती की प्रेम कहानी की गवाह गुप्तकाशी
गुप्तकाशी केवल पांडवों की कथा से जुड़ा नहीं है बल्कि भगवान शिव और माता पार्वती की प्रेम कहानी का भी अहम अध्याय है. मान्यता है कि यहीं मां पार्वती ने भगवान शिव को विवाह का प्रस्ताव दिया था. सालों की तपस्या के बाद जब पार्वती ने शिव का हृदय जीत लिया तब गुप्तकाशी में ही उनके विवाह की बात तय हुई. बाद में उनका विवाह त्रियुगी नारायण में संपन्न हुआ लेकिन इस दिव्य प्रेम कहानी की शुरुआत गुप्तकाशी से ही हुई थी. इसलिए जो लोग सच्चे प्रेम और वैवाहिक सुख की कामना करते हैं, वे यहां दर्शन करने जरूर आते हैं.

विश्वनाथ मंदिर की दिव्य बनावट 
गुप्तकाशी का विश्वनाथ मंदिर बेहद प्राचीन और सुंदर है. पत्थरों से बना ये मंदिर नागर शैली की झलक दिखाता है. गर्भगृह में स्थित शिवलिंग बहुत प्राचीन है और यहां की अर्धनारीश्वर मूर्ति शिव और शक्ति के संतुलन का प्रतीक मानी जाती है. मंदिर के सामने बहने वाली दो पवित्र धाराएं गंगा और यमुना इस स्थान की पवित्रता को और बढ़ा देती हैं. मंदिर में एक अक्षय दीपक लगातार जलता रहता है जो भगवान शिव की अनंत उपस्थिति का प्रतीक है. कहा जाता है कि इस दीपक की ज्योति कभी बुझती नहीं और यही गुप्तकाशी की सबसे बड़ी आध्यात्मिक शक्ति मानी जाती है.

मन को शांति देने वाला तीर्थस्थान
गुप्तकाशी की वादियां, मंदिर की घंटियां और भक्ति से भरा माहौल हर आने वाले भक्त को आत्मिक सुकून देता है. यहां की हवा में अध्यात्म और शिव भक्ति का गहरा असर महसूस होता है. जो भी भक्त इस पावन धाम में आता है, वो अपने जीवन की नकारात्मकता पीछे छोड़कर लौटता है.

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