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उत्पन्ना एकादशी 2025: भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति से जुड़ी तिथि, इस दिन क्या करना है शुभ और किन कामों से बचें

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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना गया है और सालभर में आने वाली सभी एकादशियों में उत्पन्ना एकादशी सबसे पवित्र मानी गई है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को वो तिथि कहा जाता है जब भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति योगमाया का प्राकट्य हुआ था. यही कारण है कि भक्त इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर किया गया व्रत जीवन से नकारात्मकता दूर करता है और घर में सुख शांति बढ़ाता है.

भगवान विष्णु से संबंध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने असुरों का संहार करने के लिए अपनी शक्ति योगमाया को उत्पन्न किया. योगमाया को सृष्टि की रक्षक शक्ति कहा गया है और ये तिथि उनके प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है. माना जाता है कि जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर व्रत रखते हैं उन्हें विशेष पुण्य प्राप्त होता है. पौराणिक ग्रंथों में उत्पन्ना एकादशी को पापों से मुक्ति दिलाने वाली और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बताया गया है. इसलिए भगवान विष्णु के भक्त इसे अत्यंत शुभ मानते हैं.

इस दिन क्या करें?
उत्पन्ना एकादशी की सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेना शुभ माना जाता है. भक्त पीले फूलों और पीले वस्त्रों से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और तुलसी दल अर्पित करते हैं. गंगाजल से अभिषेक कर ‘ओम नमो नारायणाय’ मंत्र का जाप करने से मन को शांति मिलती है. कई लोग दिनभर सात्त्विकता बनाए रखने और पूजा पाठ में समय बिताने की सलाह देते हैं. शाम के समय तुलसी पूजा करना भी बेहद शुभ माना गया है क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय मानी गई है. जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्नदान करना इस दिन अत्यधिक पुण्यदायी बताया गया है और कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है.

इस दिन क्या न करें?
उत्पन्ना एकादशी के व्रत में तामसिक भोजन पूरी तरह वर्जित माना गया है. मांसाहार, शराब, नशा और प्याज-लहसुन का सेवन अशुभ माना जाता है. दिनभर झूठ बोलना, क्रोध करना या किसी का अपमान करना भी इस तिथि के महत्व को कम करता है. घर में कलह, तेज आवाज या विवाद जैसी चीजों से भी बचने की सलाह दी जाती है. व्रत रखने वाले लोगों को आलस्य छोड़कर दिन को शांत और सकारात्मक तरीके से बिताना चाहिए क्योंकि इस दिन मन की शुद्धता ही सबसे बड़ा पुण्य मानी गई है.

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