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शनि की ढय्या से क्यों बिगड़ जाता है व्यक्ति का जीवन? जानिए कैसे करें बचाव और किन उपायों से मिलती है राहत

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ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता कहा गया है जो कर्मों के आधार पर फल देते हैं. जब शनि किसी राशि पर ढाई साल तक अपनी नजर रखते हैं तो इसे शनि की ढय्या कहा जाता है. इस अवधि में व्यक्ति को अचानक बढ़ती परेशानियां, आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कई बार मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता और बिना कारण रुकावटें भी आने लगती हैं. इसलिए ढय्या को जीवन में कठिन परिस्थितियों का संकेत माना जाता है.

शनि की ढय्या क्यों मानी जाती है भारी?
ढय्या के दौरान शनि व्यक्ति के कर्मों की परीक्षा लेते हैं. जो लोग मेहनती होते हैं उन्हें इस समय संघर्ष के बाद बड़ा फल मिलता है, लेकिन गलत आदतों, गलत फैसलों या दूसरों का नुकसान करने वालों के लिए ये समय चुनौतीपूर्ण बन जाता है. शनि धीमी गति से चलने वाला ग्रह है इसलिए उसका प्रभाव भी गहरा माना गया है. ढय्या आने पर मन बेचैन हो सकता है, नींद कम हो सकती है और कामों में बार-बार बाधाएं आ सकती हैं. कई लोग कहते हैं कि इस अवधि में छोटी गलती भी बड़ा नुकसान कर देती है. इसलिए शनि की ढय्या को सतर्क रहने का समय माना गया है.

ढय्या के प्रभाव को कैसे करें कम?
शनिवार का व्रत शनि की शुभ दृष्टि पाने का सबसे आसान उपाय माना गया है. इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. सरसों के तेल से दीपक जलाकर शनिदेव की पूजा करें. ‘ऊँ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप मन को शांत करता है और ग्रहदोष को कम करता है. कई लोग शनिमंदिर में तिल का तेल और काले तिल चढ़ाते हैं जिससे शनि की पीड़ा कम होती है. ढय्या के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करना बेहद फलदायी माना जाता है. शनिदेव सेवा और न्याय दोनों के देवता हैं इसलिए मजदूरों, दिव्यांगों और वृद्धों की मदद करने से शनि का कष्ट कम होता है. काले कपड़े, उड़द दाल या सरसों का तेल दान करना भी शुभ माना गया है.

किन कामों से बचें?
इस समय क्रोध, झूठ और दूसरों का अपमान करने से स्थिति और बिगड़ सकती है. शनि अनुशासनप्रिय ग्रह है इसलिए आलस्य, बेईमानी और दूसरों का हक मारने वाली प्रवृत्ति से पूरी तरह दूर रहने की सलाह दी जाती है. बिना वजह विवाद करना, नशा करना या किसी पर अत्याचार करना शनि की नाराजगी बढ़ाता है. घर में अनावश्यक तनाव या कलह भी शनि को अप्रसन्न कर देती है. शनि की ढय्या को डर का समय नहीं बल्कि सुधार और जागरूकता का समय माना जाना चाहिए. सही आचरण, सेवा और पूजा से शनि की कृपा मिलती है और जीवन में रुके हुए काम भी धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगते हैं.

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