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आज किस हाल में है श्रीलंका में रावण का महल, क्या आज भी बाकी हैं अवशेष या सिर्फ कहानियां?

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कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिनकी कहानियां अमर हो जाती हैं। जिनकी गवाही सदियां ही नहीं बल्कि युग देते हैं। युगों तक उन कहानियों और उन घटनाओं को याद किया जाता है। ऐसी ही घटनाओं की दास्तान है रामायण। कथा श्री राम की, सीता की और लंकापति रावण की। रावण रामायण का वो किरदार जो मृत्यु के बाद भी अमर हो गया।

रामायण का हर प्रसंग आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। राम और रावण के युद्ध से लेकर सीता हरण तक की घटनाओं को लोग इतिहास और आस्था का मिश्रण मानते हैं। लेकिन एक सवाल हमेशा से उत्सुकता जगाता है कि रावण जो सोने की लंका का राजा कहा जाता था, उसका महल आज किस हाल में है? क्या सचमुच श्रीलंका में रावण का महल मौजूद था और क्या उसके कोई अवशेष आज भी बाकी हैं या फिर यह सिर्फ मिथक और कहानियां हैं?

रामायण में सोने की नगरी का वर्णन
वाल्मीकि रामायण और कई धार्मिक ग्रंथों में लंका को सोने की नगरी बताया गया है। माना जाता है कि वास्तुशास्त्र और तकनीक की दृष्टि से रावण का महल अद्वितीय था। लंका नगरी में ऊंचे-ऊंचे महल, सोने से मढ़ी दीवारें और अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार मौजूद थे। ऐसा कहा जाता है कि पूरा महल स्वर्णमय था और वहां अत्याधुनिक सुख- सुविधाएं थीं, जो उस समय की सभ्यता के लिए अकल्पनीय मानी जाती हैं।

श्रीलंका में रावण के महल से जुड़ी मान्यता 
आज के श्रीलंका में कई स्थान ऐसे हैं जिन्हें रावण से जोड़ा जाता है। कोलंबो से लगभग 50 किलोमीटर दूर नूवर एलिया और सिगिरिया नाम की जगहें रावण के महल और उसकी गुफाओं से संबंधित मानी जाती हैं।

सिगिरिया फोर्ट्रेस 
यह एक विशाल चट्टान पर बना दुर्ग है, जो यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी है। इसे रावण का महल कहा जाता है। स्थानीय मान्यता है कि यहीं रावण का शाही महल था।

रावण केव्स: श्रीलंका के कई हिस्सों में रावण की गुफाओं का उल्लेख मिलता है। नूवर एलिया के पास रावण फॉल्स और रावण केव्स आज भी मौजूद हैं, जहां पर्यटक बड़ी संख्या में जाते हैं। मान्यता है कि माता सीता को रावण ने इन्हीं गुफाओं में लाकर रखा था।

क्या सचमुच बाकी हैं अवशेष?
इतिहासकारों और पुरातत्वविदों की राय इस पर बंटी हुई है।  कुछ पुरातत्वविद मानते हैं कि सिगिरिया फोर्ट्रेस वास्तव में रावण के समय का निर्माण हो सकता है, क्योंकि इसकी वास्तुकला और भव्यता उस समय की अन्य सभ्यताओं से कहीं आगे दिखाई देती है।

वहीं कई इतिहासकारों का कहना है कि सिगिरिया का किला ईसा पश्चात 5वीं शताब्दी में राजा कश्यप ने बनवाया था और इसका रावण से कोई प्रत्यक्ष संबंध साबित नहीं होता। वहीं रावण की गुफाओं के बारे में भी यही बहस है। धार्मिक मान्यताएं उन्हें रावण से जोड़ती हैं लेकिन ठोस वैज्ञानिक प्रमाण अभी तक नहीं मिले।

स्थानीय लोगों की आस्था 
श्रीलंका के स्थानीय लोगों की मान्यता है कि रावण वास्तव में वहां का राजा था और उसका महल आज भी कई अवशेषों के साथ मौजूद है। यही वजह है कि रावण से जुड़े स्थल आज श्रीलंका में प्रमुख धार्मिक पर्यटन का आकर्षण बन चुके हैं। रावण फॉल्स, रावण की गुफाएं और सिगिरिया फोर्ट्रेस देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। खासकर भारतीय श्रद्धालु इन जगहों को रामायण से जोड़कर देखने में गहरी रुचि रखते हैं।

क्या है हकीकत और क्या है कहानी?
सवाल यही है कि क्या रावण का स्वर्ण महल वास्तव में था या यह सिर्फ पौराणिक कल्पना है? पुरातत्वविदों ने अब तक ऐसा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं दिया है जो सोने की नगरी के वर्णन की पूरी तरह पुष्टि करे। हालांकि श्रीलंका में पाए गए किले और गुफाएं निश्चित रूप से यह दर्शाती हैं कि उस दौर की सभ्यता उन्नत और तकनीकी दृष्टि से सक्षम थी। रामायण के अनुसार लंका का निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने किया था, जो देवताओं के दिव्य शिल्पकार माने जाते हैं। यह तथ्य भी इस कथा को रहस्यमय बनाता है।

आधुनिक दौर में रावण की लंका
आज सिगिरिया को आठवां आश्चर्य भी कहा जाता है। वहां की भित्ति चित्रकला, उद्यान और जल-प्रणालियां आज भी चमत्कार से कम नहीं हैं। पुरातत्वविद मानते हैं कि अगर यह रावण का महल नहीं भी था, तो भी यह इस बात का प्रमाण है कि श्रीलंका की सभ्यता बेहद समृद्ध थी। यहां की गुफाएं और झरने स्थानीय लोककथाओं को जीवित रखते हैं और लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि रावण और उसकी लंका सिर्फ कहानियां नहीं बल्कि एक जीता-जागता इतिहास थी।

आज श्रीलंका में रावण के महल के वास्तविक अवशेष होने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है, लेकिन आस्था और परंपरा ने उसे हमेशा जीवित रखा है। सिगिरिया फोर्ट्रेस, रावण फॉल्स और गुफाएं इस विश्वास को मजबूत करती हैं कि कहीं न कहीं उस स्वर्णिम लंका की झलक आज भी मौजूद है।

वैज्ञानिक इसे मिथक कहें या इतिहास लेकिन लोगों की आस्था के लिए रावण का महल सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। कह सकते हैं कि रावण की लंका आज भी श्रीलंका की मिट्टी और स्मृतियों में सांस लेती है कभी अवशेषों के रूप में तो कभी कहानियों और मान्यताओं में।

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