पहली बार तिरंगे पर कब लिखा गया ‘वंदे मातरम्’? जानिए राष्ट्र गीत की 150वीं वर्षगांठ से जुड़ी रोचक कहानी
- Shubhangi Pandey
- 07 Nov 2025 12:11:01 PM
देश आज राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस गीत का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जो योगदान रहा, वो इतिहास में अमर है। बहुत कम लोगों को पता है कि जब पहली बार भारत का तिरंगा फहराया गया था, तब उसके बीचोंबीच संस्कृत के शब्द ‘वंदे मातरम्’ लिखे गए थे। आज का ये मौका उस भावना को याद करने का है, जिसने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांध दिया था।
‘वंदे मातरम्’ को मिली राष्ट्र गीत की पहचान
आजाद भारत में जब संविधान बनाया जा रहा था, तब 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में सर्वसम्मति से ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्र गीत का दर्जा दिया गया। उस समय डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था “वंदे मातरम्, जिसका स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक महत्व रहा है, उसे ‘जन गण मन’ के समान ही सम्मान और दर्जा प्राप्त होगा।” यानी राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत दोनों भारत की आत्मा के प्रतीक हैं।
संन्यासी विद्रोह ने दी गीत को जन्म की पृष्ठभूमि
‘वंदे मातरम्’ की रचना महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी। 1870 के दशक में जब बंगाल भयंकर अकाल से जूझ रहा था और अंग्रेजों का जुल्म चरम पर था, तब इस गीत ने लोगों में आजादी की चिंगारी जगाई। संन्यासी विद्रोह के समय जब जनता भूख और शोषण से त्रस्त थी, बंकिम चंद्र ने लोगों को एकजुट करने के लिए ये गीत लिखा।
अक्षय नवमी के दिन रचा गया ‘वंदे मातरम्’
7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के दिन बंकिम चंद्र चटर्जी ने ये गीत अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ का हिस्सा बनाकर लिखा। उस दौर में अंग्रेज सरकार ने हर जगह ‘गॉड सेव द क्वीन’ गाने का आदेश दिया था। इसके विरोध में ‘वंदे मातरम्’ भारत के आत्मसम्मान की आवाज बन गया। जल्द ही ये गीत हर आंदोलन, हर जनसभा का नारा बन गया।
पहली बार तिरंगे पर लिखा गया ‘वंदे मातरम्’
1906 में कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में जब पहली बार तिरंगा फहराया गया, तब उसके बीच में ‘वंदे मातरम्’ लिखा गया था। ये झंडा तीन रंगों में बना था तो ऊपर हरा, बीच में पीला और नीचे लाल। हरे भाग पर आठ कमल के निशान थे।
एक साल बाद 1907 में मैडम भीकाजी कामा ने पेरिस में संशोधित तिरंगा फहराया, जिसमें भी ‘वंदे मातरम्’ अपनी जगह पर लिखा गया था।
1947 में मिला आज का तिरंगा रूप
जुलाई 1947 में जब भारत ने आधिकारिक रूप से तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया, तो उसका स्वरूप अलग था। लेकिन उसमें छिपी भावना वही थी । राष्ट्रप्रेम, एकता और ‘वंदे मातरम्’ की आत्मा। ये गीत सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भारत की उस अनमोल भावना का प्रतीक है, जिसने हमें आज़ादी दिलाई और आज भी हमारे दिलों में देशभक्ति का संचार करती है।
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