सवाल जो आज भी जिंदा है.... उस रात शास्त्री जी के साथ क्या हुआ?
- Shubhangi Pandey
- 02 Oct 2025 07:52:40 PM
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का नाम आज भी ईमानदारी और सादगी की मिसाल के तौर पर लिया जाता है। उनका नारा जय जवान, जय किसान आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है। लेकिन उनके जीवन से भी बड़ा रहस्य उनकी मौत की कहानी है। 11 जनवरी 1966 की रात, ताशकंद में अचानक उनकी मौत हो गई। आधिकारिक तौर पर इसे दिल का दौरा बताया गया लेकिन परिवार और जानकारों को हमेशा से शक रहा कि यह महज दिल का दौरा नहीं था।
ताशकंद की वो रहस्यमय रात
10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद शास्त्री जी बेहद थके हुए थे। समझौते के अगले ही दिन यानी 11 जनवरी को तड़के करीब 1 बजकर 30 मिनट पर यह खबर आई कि शास्त्री जी अब इस दुनिया में नहीं रहे। बताया गया कि उन्हें हार्ट अटैक आया था। लेकिन यह मौत जितनी अचानक थी उससे कहीं ज्यादा सवाल अपने पीछे छोड़ गई। परिवार का आरोप था कि शास्त्री जी को जहर दिया गया था। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने भी कई बार कहा कि उनकी मौत स्वाभाविक नहीं थी।
पत्रकार कुलदीप नैयर की आंखों देखी
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर भी उस वक्त शास्त्री जी के साथ ताशकंद गए थे। अपनी किताब में उन्होंने उस रात का दृश्य बयां किया। वो लिखते हैं कि अचानक तेज खटखटाहट से उनकी नींद टूटी। किसी ने कहा, “तुम्हारे प्रधानमंत्री मर रहे हैं।” भागते हुए जब वो उस सरकारी रेस्ट हाउस पहुंचे, तो बाहर सोवियत नेता अलेक्सेई कोसीगिन खड़े मिले। उन्होंने इशारे से बता दिया कि शास्त्री जी अब नहीं रहे। अंदर डॉक्टरों की टीम बैठी थी और भारतीय डॉक्टर आर. एन. चुघ घटना की जानकारी दे रहे थे।
उस वक्त कैसा था शास्त्री जी का कमरा?
कुलदीप नैयर ने कमरे का हाल भी बयान किया। उनका कहना था कि कमरा लंबा-चौड़ा था। एक विशाल पलंग पर शास्त्री जी का शरीर पड़ा था, जो छोटे से बिंदु जैसा दिख रहा था। फर्श पर उनकी चप्पलें करीने से रखी थीं। कमरे के एक कोने में रखा थर्मस उल्टा पड़ा था मानो उन्होंने उसे खोलने की कोशिश की हो। सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि कमरे में कॉल बेल नहीं थी। संसद में जब सवाल उठा कि शास्त्री जी को तुरंत मदद क्यों नहीं मिली तो सरकार को इस मामले में झूठ बोलना पड़ा।
आखिरी बार पानी मांगा था
शास्त्री जी के निजी सचिव जगन्नाथ सहाय ने बताया कि रात करीब बारह बजे शास्त्री जी ने उनका दरवाजा खटखटाया और पानी मांगा। दो स्टेनोग्राफरों के साथ वो उन्हें सहारा देकर वापस कमरे में ले गए। डॉक्टरों का मानना था कि यही समय उनके लिए जानलेवा साबित हुआ। इसके बाद शास्त्री जी बेचैन होकर कमरे में इधर-उधर घूमते रहे। उनके सहायक रामनाथ ने उन्हें पानी पिलाया। आधी रात से कुछ देर पहले शास्त्री जी ने रामनाथ से कहा कि वह जाकर सो जाएं, क्योंकि सुबह जल्दी उठकर उन्हें काबुल रवाना होना था।
उस रात क्या खाया था?
खबरों के मुताबिक शास्त्री जी ने उस रात बहुत हल्का खाना खाया था। यह खाना भारतीय राजदूत टी. एन. कौल के घर से आया था जिसे बावर्ची जान मुहम्मद ने बनाया था। इसमें सब्जी, आलू और करी थी। खाना खाने के बाद उन्होंने दूध पिया जो उन्हें सोते समय पीने की आदत थी। इसके बाद वो बेचैन हो उठे और पानी मांगा।
मौत से ठीक पहले का मंजर
जगन्नाथ सहाय ने बताया कि रात 1 बजकर 20 मिनट पर शास्त्री जी ने फिर दरवाजा खटखटाया। वो बेहद तकलीफ में थे और बार-बार डॉक्टर के बारे में पूछ रहे थे। अचानक उन्हें खांसी का तेज दौरा पड़ा और उनका शरीर कांपने लगा। सहाय ने पानी पिलाया लेकिन शास्त्री जी सीने की ओर इशारा करते हुए बेहोश हो गए और फिर कभी होश में नहीं आए।
परिवार के तीखे सवाल
भारत लौटने के बाद जब कुलदीप नैयर ने ललिता शास्त्री से मुलाकात की तो उन्होंने कई सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि शास्त्री जी का शरीर नीला क्यों पड़ा था। नैयर ने कहा कि शायद शव पर लगे रसायन की वजह से ऐसा हुआ हो। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह था कि पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया न ताशकंद में और न ही दिल्ली में। इससे शक और गहरा हो गया।
अनसुलझा रहस्य अभी भी बरकरार
शास्त्री जी की मौत पर कई आयोग बने। कई बार संसद में सवाल उठाए गए लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया। आज भी यह सवाल गूंजता है कि क्या शास्त्री जी की मौत वाकई हार्ट अटैक से हुई थी या फिर उन्हें जहर दिया गया था। उनकी मौत को लेकर जितने बयान और दावे सामने आए उतनी ही परतें इस रहस्य की गहरी होती चली गईं।
आखिर सवाल अभी भी बरकरार
आज आजादी के 78 साल बाद भी लोग पूछते हैं—क्या उस रात दूध या पानी में कुछ मिलाया गया था? क्या शास्त्री जी को बचाया जा सकता था अगर कमरे में कॉल बेल होती? क्यों पोस्टमार्टम नहीं हुआ? शायद इन सवालों के जवाब कभी न मिलें। लेकिन इतना तय है कि ताशकंद की वो रात भारतीय राजनीति के इतिहास का सबसे रहस्यमय और दर्दनाक पल बन चुकी है।
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