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जहां से शुरू हुई इंसानों की कहानी, हजारों साल पुराने रंगों में छिपा इतिहास, जानिए कहां है ये अद्भुत जगह!

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मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में भीमबेटका को मानव सभ्यता के विकास का शुरूआती जगह माना जाता है. यहां की गुफाओं में बने चि‍त्र हज़ारों साल पहले का जीवन दर्शाते हैं. ये चित्र खास तौर पर नृत्य, संगीत, आखेट, घोड़ों और हाथियों की सवारी, आभूषणों को सजाने, शहद जमा करने से जुड़े हैं.

आदिमानव के बनाए चित्र
भीमबेटका एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है. यहां पर आदिमानव के बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रय काफी फेमस हैं. चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना गया है. ये भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं.

विश्व धरोहर हो चुका है घोषित
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 45 किमी दक्षिण पूर्व में ये जगह स्थित है. डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने इसकी खोज साल 1957-1958 में की थी. इस क्षेत्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त 1999 में राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया. वहीं जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर का ऐलान किया.

आदिमानवों के हैं चित्र
भीमबेटका में आदिमानवों के शैलाश्रय और शैल चित्र पुरावशेष हैं. यहां प्राचीन किले की दीवार, लघु स्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष हैं.

भीम से जुड़ा है यहां का नाम
कहा जाता है कि ये जगह महाभारत काल में भीम से जुड़ा है, इसी वजह से इसका नाम भीमबैठका पड़ा. ये मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर है. यहां दुनियाभर से पर्यटक और शोधार्थी आते हैं. फिर भी इस क्षेत्र में परिवहन सुविधा की काफी जरूरत है, अगर इस ओर सरकार ध्यान दे तो तो न केवल पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा. 

कैसे पहुंचे भीम बेटका
भीमबेटका तक हवाई मार्ग से पहुंचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा भोपाल है. इसके अलावा नजदीकी रेलवे स्टेशन ओबेदुल्लागंज और भोपाल हैं. यहां तक पहुंचने के लिए बस सेवा भी उपलब्ध है. भोजन के लिए होटलों के साथ मध्य प्रदेश टूरिज्मल के रेस्टोरेंट भी हैं.

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