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Mohammad Rafi साहब ने अचानक क्यों छोड़ा गाना? मौलाना के एक शब्द ने बदली जिंदगी!

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मोहम्मद रफी, जिनकी मखमली आवाज ने ‘चुरा लिया है तुमने’, ‘क्या हुआ तेरा वादा’, ‘तेरी बिंदिया रे’ जैसे गानों को अमर बना दिया, वो हिंदी सिनेमा के बेताज बादशाह थे। 26 हजार से ज्यादा गाने गाकर उन्होंने लाखों दिलों पर राज किया। लेकिन 1970 के दशक में, जब वो अपने करियर के टॉप पर थे, अचानक गायकी छोड़ने का फैसला सुना तो हर कोई हैरान रह गया। लोग सोचने लगे कि क्या किशोर कुमार की बढ़ती लोकप्रियता या म्यूजिक डायरेक्टर्स की बेरुखी ने उन्हें ऐसा करने को मजबूर किया? लेकिन असली वजह कुछ और थी। उनके बेटे शाहिद रफी ने इस अनसुनी कहानी का खुलासा किया।

मौलाना की बात ने बदला फैसला
1971-72 की बात है। रफी साहब, जो बेहद धार्मिक थे, अपनी पत्नी के साथ दूसरी बार हज करने गए। उस वक्त वो करीब 40 साल के थे और इंडस्ट्री में छाए हुए थे। हज के दौरान एक मौलाना ने उनसे कहा, “रफी साहब, संगीत में काम करना गुनाह है। अल्लाह आपको माफ नहीं करेगा।” ये शब्द रफी साहब के दिल में चुभ गए। वो अल्लाह को बहुत मानते थे और इस बात ने उन्हें अंदर तक हिला दिया। मुंबई लौटते ही उन्होंने एक ही बात कही, “मैं रिटायर हो रहा हूं।” बिना किसी से सलाह लिए, बिना बहस किए, उन्होंने गाना बंद कर दिया।

लंदन में लिया संन्यास
शाहिद रफी ने बताया कि लोग अफवाहें उड़ाते थे कि किशोर कुमार की लोकप्रियता या म्यूजिक डायरेक्टर्स की अनदेखी की वजह से उनके पिता ने ये कदम उठाया। लेकिन सच ये था कि रफी साहब को लगने लगा था कि गाना गाना गुनाह है। इस डर से वो मुंबई छोड़कर लंदन चले गए, ताकि कोई उन्हें परेशान न करे। उनके बड़े भाई ने समझाया कि उनकी आवाज अल्लाह का तोहफा है। उन्होंने कहा, “ये तुम्हारी कला है। न तुम बिजनेस कर सकते हो, न कोई और काम।” लेकिन रफी साहब नहीं माने।

दूसरे मौलाना ने दिखाया रास्ता
लंदन में एक और मौलाना ने रफी साहब से मुलाकात की। उन्होंने समझाया, “तुम्हारी आवाज अल्लाह की देन है। इसे बर्बाद करना गलत है। तुम्हारे परिवार की जिम्मेदारी भी तुम पर है।” इस बात ने रफी साहब का मन बदल दिया। मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद ने भी उन्हें यही सलाह दी। इसके बाद वो मुंबई लौटे। लेकिन तब तक कई प्रोड्यूसर्स और म्यूजिक डायरेक्टर्स नए सिंगर्स के साथ काम शुरू कर चुके थे। फिर भी रफी साहब ने कभी काम मांगने के लिए गिड़गिड़ाया नहीं।

शानदार वापसी और अमर गीत
अपनी शर्तों पर रफी साहब ने वापसी की। उन्होंने ‘हम किसी से कम नहीं’, ‘कर्ज’ और ‘आस पास’ जैसी फिल्मों में ‘क्या हुआ तेरा वादा’, ‘चुरा लिया है तुमने’ जैसे गाने गाए। उनकी आवाज ने फिर से जादू बिखेरा। 1967 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1980 में, सिर्फ 55 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। डायबिटीज और दिल की बीमारी से वो जूझ रहे थे। लेकिन उनकी आवाज आज भी हर दिल में जिंदा है।

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