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यूं ही कोई असरानी नहीं बन जाता! जानिए कैसे बनाई इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान, आप हो जाएंगे दंग!

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भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में कुछ एक्टर्स ऐसे हैं जो अपनी वर्सटाइल एक्टिंग के दम पर अलग पहचान रखते हैं। इन्हीं में से एक नाम है असरानी का। जो अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए आज भी जाने जाते हैं। आज भी उनके निभाए किरदारों को याद किया जाता है। लेकिन गोवर्धन असरानी का ‘असरानी’ बनने का सफर इतना भी आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनकी इस जर्नी के बारे में-

गोवर्धन असरानी जिन्हें आम तौर पर असरानी के नाम से जाना जाता है। एक अभिनेता हैं जो भारतीय फिल्मों में अभिनय करते हैं और जिनका बॉलीवुड करियर चार दशकों से अधिक समय तक फैला है।

असरानी का जयपुर से मुंबई तक का सफर
गोवेर्धन असरानी हिंदी सिनेमा के कॉमिक एक्टर हैं। इनका जन्म 1 जनवरी 1941 में पिंक सीटी जयपुर में हुआ था। असरानी के चार बहनें और तीन भाई थे। असरानी की स्कूलिंग सेंट जेवियर स्कूल में हुई और राजस्थान कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा कर बतौर रेडियो आर्टिस्ट काम किया। उन्होनें अब तक करीब 300 से ज्यादा हिंदी और गुजराती फिल्में की हैं। करीब 5 दशक के अपने करियर में उन्होंने लगभग हर एक्टर के साथ फिल्म की है। लेकिन 'शोले'में निभाए गए उनके 'अंग्रेजों के जमाने के जेलर' वाले किरदार के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

असरानी का फिल्मी करियर
फिल्मी करियर की बात करें तो असरानी ने करीब पांच दशक तक काम किया है। यह अपने करियर में 300 से भी ज्यादा फिल्में कर चुके हैं। हालांकि शुरुआत में असरानी को ज्यादा रोल नहीं मिलते थे। इसलिए वो एफटीआईआई में ही शिक्षक बन गए थे। असरानी ने दर्शकों को सिर्फ हंसाया ही नहीं,बल्कि मधुर संगीत भी सुनाया है। 1977 में असरानी ने फिल्म अलाप में दो गाने गाए, जो दोनों उन्हीं पर फिल्माए गए थे। एक साल बाद, उन्होंने फिल्म फूल खिले हैं गुलशन गुलशन के लिए गायक किशोर कुमार के साथ युगल गीत गाया।

बता दें कि असरानी ने अधिकतर फिल्मों में साइड रोल ही किए हैं। मगर 'चला मुरारी हीरो बनने' और 'सलाम मेमसाहब' जैसी फिल्मों में उन्होंने लीड एक्टर के तौर पर भी काम किया। असरानी ने 1967 में रिलीज हुई फिल्म 'हरे कांच की चूड़ियां' से फिल्मों में कदम रखा। असरानी ने कई फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। लेकिन 'शोले' में जेलर के किरदार ने इन्हें खूब लोकप्रियता दिलाई। इसके अलावा 'मेरे अपने', 'बावर्ची', 'परिचय', 'अभिमान', 'महबूब, 'बंदिश', 'चुपके-चुपके' जैसी फिल्मों में असरानी ने शानदार अभिनय किया।असरानी ने पंजाबी फिल्म यारियां में विशेष भूमिका निभाई।असरानी ने अभिनय के अलावा कई फिल्मों का निर्देशन भी किया।

असरानी का राजनीति में कदम
असरानी ने राजनीति में भी कदम रखा (2004)। वह 2004 में लोकसभा चुनाव के प्रचार में मदद के लिए प्रवक्ता के रूप में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए।

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