Virat Kohli को लेकर इस एक्टर ने ये क्या कह दिया, करना तो..... अगर मेरे बस में होता तो....
- Ankit Rawat
- 16 Oct 2025 11:35:38 PM
पंजाबी सिंगर और एक्टर एमी विर्क अपनी बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग के लिए जाने जाते हैं और अक्सर अपने एक्ट से दर्शकों को लोटपोट कर देते हैं। हालांकि पर्दे पर कॉमेडी करना हमेशा आसान नहीं होता खासकर जब कोई पर्दे के पीछे निजी संघर्षों से जूझ रहा हो। एमी के लिए दिग्गज एक्टर जसविंदर भल्ला के निधन की खबर सुनने के बाद बिन्नू ढिल्लों के साथ अपनी आगामी फिल्म बम्बूकट 2 का क्लाइमेक्स फिल्माना इमोशनली बहुत बड़ी चुनौती साबित हुआ।
खुलकर बोले एमी
एक खास बातचीत में एमी ने बताया कि कैसे वो कठिन समय में भी खुद को इंस्पायर करते हैं और इसके लिए उन्हें क्रिकेटर विराट कोहली और दिग्गज सिंगर गुरदास मान से प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा,"करना तो पड़ता है... (आपको किसी तरह चलते रहना ही पड़ता है)... मैं बिन्नू भजी के साथ शूटिंग कर रहा था जब मुझे भल्ला साहब के निधन की खबर मिली। हमारे लिए शूटिंग जारी रखना वाकई मुश्किल हो गया और जब कॉमेडी सीन हो तो और भी मुश्किल। अगर मेरे बस में होता तो मैं थोड़ा रुक जाता। लेकिन फिर भी, आपको चलते रहना ही पड़ता है।"
विराट कोहली का दिया उदाहरण
उन्होंने भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली का उदाहरण दिया। जिन्होंने एक बार अपने पिता के अचानक निधन के बावजूद रणजी ट्रॉफी मैच खेलने का फैसला किया था। इस कदम को धैर्य और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
‘ये कभी आसान नहीं होता....’
एमी ने ज़ोर देकर कहा, "ये ज़िंदगी का एक हिस्सा है... यहां तक कि विराट कोहली ने भी अपने पिता के निधन के बाद मैच खेला था। गुरदास मान साहब ने भी अपने पिता के निधन के बाद एक कॉन्सर्ट में परफॉर्म किया था। ये कभी आसान नहीं होता, लेकिन काम तो करना ही पड़ता है। कभी-कभी आपको तब भी करना पड़ता है जब आपका मन न हो।"
एमी के अपकमिंग प्रोजेक्ट
बता दें कि इस बीच एमी विर्क अपनी आगामी पंजाबी फिल्म "गोडे गोडे चा 2" की रिलीज़ की तैयारी कर रहे हैं। जो 21 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। विजय कुमार अरोड़ा के डायरेक्शन में ये फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता "गोडे गोडे चा" का सीक्वल है।
ये पूछे जाने पर कि क्या पहले पार्ट के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद उन्हें दबाव महसूस होता है निर्देशक विजय कुमार अरोड़ा ने कहा, "मुझ पर ऐसा कोई दबाव नहीं है... क्योंकि जब मैंने फिल्म बनाई थी तो मुझे ऐसा नहीं लगा था कि मैं इसे राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए बना रहा हूं। मैं एक अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश कर रहा था ताकि लोग इसे देखें और इसका आनंद लें। इसलिए अब भी मैं चाहता हूं कि लोग ये फिल्म देखें और इसका आनंद लें और मुझे विश्वास है कि लोग खूब हंसेंगे। ये फिल्म हंसी के साथ-साथ एक संदेश भी देगी।"
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