Mumbai के शिवाजी पार्क श्मशान घाट पर एड गुरु Piyush Pandey का अंतिम संस्कार, Amitabh Bachchan ने दी अंतिम श्रद्धांजलि
- Ankit Rawat
- 25 Oct 2025 10:36:56 PM
एड गुरु पीयूष पांडे का शनिवार को मुंबई के शिवाजी पार्क श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन समेत कई बॉलीवुड हस्तियां उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद रहीं। परिवार ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एक पोस्टर लगाया, जिस पर लिखा था, "शाबाश कैप्टन।" पीयूष का 24 अक्टूबर को निधन हो गया। वो हाल ही में एक कॉन्फ्रेंस के लिए दिल्ली गए थे और वहां उन्हें इन्फेक्शन हो गया। पहले उन्हें निमोनिया हुआ फिर चिकनपॉक्स। उनकी हालत बिगड़ती गई। पीयूष पांडे कहा करते थे कि जीवन और विज्ञापन दोनों का उद्देश्य जुड़ना है जीतना नहीं। वो कहते थे, "कहानी दिल से निकलती है तभी वो कानों में नहीं, दिमाग में रहती है।"
कम उम्र में विज्ञापन जगत में शामिल हुए
पीयूष 27 साल की उम्र में विज्ञापन जगत में शामिल हो गए। उन्होंने अपने भाई प्रसून पांडे के साथ शुरुआत की। दोनों ने रोज़मर्रा के उत्पादों के लिए रेडियो जिंगल्स में अपनी आवाज़ दी। वो 1982 में विज्ञापन कंपनी ओगिल्वी से जुड़े। 1994 में उन्हें ओगिल्वी के बोर्ड में नामांकित किया गया। पीयूष को 2016 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। इसके अलावा 2024 में उन्हें एलआईए लीजेंड पुरस्कार भी मिला।
पीयूष के जाने माने विज्ञापन
फेविकोल का "ट्रक वाला विज्ञापन"
ये 2007 में आया था। इसमें पीयूष ने एक साधारण चिपकने वाले गोंद को इस तरह से बदल दिया कि ये घर-घर में मशहूर हो गया। विज्ञापन में कई लोग एक ट्रक के ऊपर बैठे हैं और ऊबड़-खाबड़ सड़क पर विक गिरते नहीं हैं और गाड़ी चलती रहती है। इस विज्ञापन ने गोंद को फेविकोल में बदल दिया। इस विज्ञापन को न केवल कई पुरस्कार मिले, बल्कि इसने दर्शकों के दिलों पर भी गहरी छाप छोड़ी।
कैडबरी का "क्रिकेट वाला विज्ञापन"
ये 2007 में रिलीज़ हुआ था। ये भारतीय क्रिकेट के प्रति प्रेम को दिखाता है। जब कोई क्रिकेटर छक्का मारकर खुशी से नाचने लगता है, तो पूरा स्टेडियम उसके साथ जश्न मनाता है। पांडे की आवाज़ ने इसे और भी मज़ेदार बना दिया। और "कुछ ख़ास है ज़िंदगी में!" वाली लाइन ने लोगों को जोड़ दिया।
एशियन पेंट्स का "हर घर कुछ कहता है"
"हर घर कुछ कहता है" विज्ञापन 2002 में आया था। 2002 में एक परिवार की कहानी सुनाई गई थी जहां पिता की यादें दीवारों पर जीवंत हो उठी थीं। "हर घर कुछ कहता है" टैगलाइन ने लाखों घरों को प्रभावित किया और एशियन पेंट्स बाज़ार में अग्रणी बन गया।
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