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Rabies है दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी, साइंस भी बेबस, जानें कैसे बचें

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कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने से होने वाली रेबीज को दुनिया की सबसे घातक बीमारी कहा जाता है। एक बार ये बीमारी हो जाए तो इसका इलाज लगभग नामुमकिन है। दुनिया में अब तक सिर्फ 6 लोग ही रेबीज से जिंदा बचे हैं, बाकी 100% मामलों में मौत निश्चित है। रोकथाम के तरीके मौजूद हैं लेकिन लक्षण दिखने के बाद साइंस भी बेबस है। आइए जानते हैं रेबीज इतनी खतरनाक क्यों है और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

रेबीज क्यों है इतना खतरनाक?
रेबीज का वायरस इतना खतरनाक है कि ये दिमाग और नर्वस सिस्टम को सीधे निशाना बनाता है। रेबडोविरिडे परिवार का लाइसावायरस इसका कारण है। जब कोई संक्रमित जानवर काटता है, तो ये वायरस खून या मांसपेशियों के जरिए दिमाग तक पहुंचता है। वहां ये एक ऐसा सुरक्षा कवच बना लेता है जिसे इम्यून सिस्टम, एंटीबॉडीज या एंटीवायरल दवाएं भेद नहीं पातीं। ये वायरस धीरे-धीरे दिमाग की कोशिकाओं को खत्म करता है जिससे शरीर की सारी गतिविधियां ठप हो जाती हैं। लक्षण दिखने पर मरीज की हालत भयानक हो जाती है। उसे हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) हो जाता है। प्यास लगती है लेकिन पानी देखकर डर लगता है। मरीज को बुखार, गले में ऐंठन, बेचैनी, और दौरे पड़ते हैं। वो लार और झाग फेंकता है। कभी-कभी कुत्ते की तरह भौंकता भी है। मरीज को परिवार वालों तक को पहचानने में दिक्कत होती है। आखिर में लकवा और मौत हो जाती है।

भारत में रेबीज का कहर
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिकभारत में हर साल रेबीज से 5,726 लोग मरते हैं। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि ये आंकड़ा 18,000-20,000 तक है। जो वैश्विक रेबीज मौतों का 36% है। ज्यादातर मामले कुत्तों के काटने से होते हैं खासकर बच्चों और युवाओं में।

रेबीज का इलाज क्यों नहीं?
रेबीज का कोई पक्का इलाज नहीं है। वैज्ञानिक सालों से रिसर्च कर रहे हैं लेकिन वायरस का कवच इतना मजबूत है कि इम्यून सिस्टम और दवाएं इसे पार नहीं कर पातीं। ये वायरस इम्यून सिस्टम को भी चकमा दे देता है जिससे शरीर खुद के खिलाफ काम करने लगता है। नतीजा दिमाग और तंत्रिका तंत्र पूरी तरह चरमरा जाते हैं।

बचाव का एकमात्र रास्ता
रेबीज का इलाज नहीं है लेकिन रोकथाम मुमकिन है। अगर कोई जानवर काटे तो तुरंत पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) लेना जरूरी है। इसमें रेबीज वैक्सीन और इम्यूनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन शामिल है। काटने के बाद जितनी जल्दी PEP लिया जाए, उतनी ही ज्यादा बचने की संभावना। इसके लिए काटने वाली जगह को साबुन और पानी से 15 मिनट तक धोएं। तुरंत डॉक्टर के पास जाएं औऱ पूरी वैक्सीन डोज (4-5 इंजेक्शन) समय पर लें। साथ ही पालतू कुत्तों को रेबीज वैक्सीन जरूर लगवाएं।

सावधानी ही बचाव
रेबीज से बचने के लिए आवारा कुत्तों से दूरी बनाएं। बच्चों को सिखाएं कि अनजान जानवरों को न छुएं। अगर कोई जानवर काटे, तो देर न करें, क्योंकि समय के साथ वायरस दिमाग तक पहुंच जाता है। रेबीज को हल्के में लेना जानलेवा हो सकता है।

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