इतनी लंबी उम्र तक कैसे स्वस्थ रहे महात्मा गांधी, जानिए उनकी डाइट के बारे में
- Shubhangi Pandey
- 02 Oct 2025 02:37:55 PM
हर साल 2 अक्टूबर को हम गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जी केवल भारत के राष्ट्रपिता नहीं थे बल्कि जीवन शैली, स्वास्थ्य और सादगी के प्रतीक भी थे। उनके जीवन की एक सबसे विशेष और प्रेरक बात थी उनका डाइट प्लान और खाने-पीने की आदतें जो उनके विचारों और सिद्धांतों के साथ गहराई से जुड़ी थीं। गांधी जी का खानपान न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए भी एक आदर्श था।
गांधी जी का खाने को लेकर मूल सिद्धांत
गांधी जी के खाने का मूल मंत्र था सादगी, संयम और संतुलन। वो हमेशा ताजे, प्राकृतिक और पौष्टिक भोजन पर विश्वास करते थे। उनका मानना था कि शरीर और मन का स्वास्थ्य सीधे तौर पर खानपान पर निर्भर करता है। इसलिए उन्होंने कभी भी ज्यादा तेल मसाले सेवन नहीं किया।
गांधी जी का खाना खास तौर पर शाकाहारी था। वो दाल, साबुत अनाज, फल, सब्ज़ियां और दूध अपनी डाइट में शामिल करते थे। उनका मानना था कि मांसाहार और तामसिक भोजन न केवल शरीर को प्रभावित करता है बल्कि मन और आत्मा को भी अशांत करता है। यही कारण है कि वो हमेशा सरल, पोषक और प्राकृतिक चीजों का ही सेवन करते थे।
गांधी जी की दैनिक डाइट
गांधी जी का दिन सुबह जल्दी उठने से शुरू होता था। उनका नाश्ता हमेशा हल्का और पौष्टिक होता था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि उन्होंने अक्सर नाश्ते में फल, दलिया, ओट्स, मूंगफलियां या उबली हुई सब्ज़ियां शामिल की। वो चाय या कॉफी का सेवन नहीं करते थे और अगर पीते भी थे तो केवल हर्बल चाय या हल्की चाय।
दोपहर का भोजन गांधी जी का मुख्य भोजन माना जाता था। वे साबुत अनाज की रोटी, दाल, हल्की सब्ज़ियां और कभी-कभी दही खाते थे। उनका खाना कभी भी भारी या अधिक मसालेदार नहीं होता था। इसके अलावा वो भोजन में नमक और तेल का प्रयोग बहुत कम करते थे। गांधी जी से जुड़े लोग बताते हैं कि जब उनकी पत्नी बीमार थी तो उन्होंने नमक खाना भी बंद कर दिया था।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शाम को गांधी जी हल्का नाश्ता करते थे, जिसमें अक्सर फल, ड्राई फ्रूट्स या हल्का सलाद शामिल होता था। रात का भोजन भी हल्का और पौष्टिक होता था। वो अक्सर रात में बहुत भारी भोजन नहीं करते थे, ताकि उनकी नींद और पाचन प्रक्रिया प्रभावित न हो।
उपवास और संतुलित खाना
गांधी जी के डाइट प्लान की सबसे अनोखी बात थी उनका उपवास और संतुलित खाना। वो अक्सर धार्मिक और स्वास्थ्य वजहों से उपवास रखते थे। उनका मानना था कि उपवास शरीर को शुद्ध करता है, पाचन तंत्र को आराम देता है और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है।
गांधी जी अपने खाने में संतुलन का विशेष ध्यान रखते थे। वो केवल भूख लगने पर ही खाते थे और खाने की मात्रा हमेशा सीमित होती थी। उनका यह सिद्धांत था कि शरीर के लिए केवल आवश्यक पोषण लेना चाहिए और ज्यादा खाने से स्वास्थ्य और मानसिक शक्ति दोनों प्रभावित होते हैं। गांधी जी हमेशा ताजे और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों पर विश्वास करते थे। उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि वो मानते थे कि प्राकृतिक खाना शरीर को ऊर्जा देता है और रोगों से बचाता है। फल और सब्जियों का सेवन उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण था। उन्होंने अपने जीवन में मूंग, चना, बाजरा, ज्वार और हरी सब्जियों को ज्यादा महत्व दिया। वो कभी भी खाने में ज्यादा मसाले, चीनी या तेल का उपयोग नहीं करते थे। उनका मानना था कि शरीर और मन की शुद्धता के लिए सादा और प्राकृतिक खाना सबसे श्रेष्ठ है।
शुद्ध पानी के सेवन पर दिया जोर
गांधी जी पानी के महत्व को भी अच्छी तरह समझते थे। वो पर्याप्त पानी पीते थे और हमेशा साफ और शुद्ध पानी का सेवन करते थे। उनका मानना था कि पानी शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ बनाए रखता है।चाय और कॉफी से वो दूर रहते थे। कभी-कभी हर्बल ड्रिंक्स और गर्म पानी का सेवन ही उनके दिन का पेय पदार्थ होता था।
उनका मानना था कि स्वस्थ शरीर और मानसिक शक्ति केवल प्राकृतिक और संतुलित खाने से ही संभव है। उन्होंने अपने जीवन में उपवास, हल्का भोजन और प्राकृतिक आहार के सिद्धांतों का पालन किया, जो आज के समय में भी हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। आज जब जीवन की भागदौड़ और जंक फूड की आदतें आम हो गई हैं तो गांधी जी का यह डाइट प्लान हमें याद दिलाता है कि सादगी और संतुलन ही स्वास्थ्य और जीवन की असली कुंजी है। गांधी जी का यह संदेश न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक शांति और आत्मशुद्धि के लिए भी अमूल्य है।
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