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बिना योग किए 44 की उम्र में इतनी फिट हैं श्वेता तिवारी! जानिए उनकी सिंपल लेकिन असरदार फिटनेस हैबिट्स

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श्वेता तिवारी उन सेलेब्स में से हैं जो साबित करती हैं कि फिटनेस का मतलब है हर दिन छोटे-छोटे बेहतर फैसले लेना। 44 साल की उम्र में भी वो जितनी फिट और एक्टिव हैं, उतनी ही ज़मीन से जुड़ी भी दिखती हैं। हाल ही में उन्होंने भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया के यूट्यूब चैनल ‘भारती टीवी’ पर अपनी फिटनेस, लाइफस्टाइल और माइंडसेट को लेकर खुलकर बात की। श्वेता ने बताया कि वो फिटनेस को लेकर किसी एक ट्रेंड के पीछे नहीं भागतीं। उनका मानना है कि जो चीज़ आपके लिए काम करती है, उसी को अपनाना चाहिए। वो जिम जाती हैं, पिलेट्स करती हैं, वॉक पर जाती हैं और हल्के वज़न उठाकर खुद को टोन करती हैं।

श्वेता ने क्यों छोड़ा योग?
जहां ज़्यादातर लोग योग को फिटनेस का जरूरी हिस्सा मानते हैं, वहीं श्वेता तिवारी ने हंसते हुए बताया कि योग उनके लिए नहीं बना। उन्होंने कहा, "जैसे ही मैं योग करने बैठती हूं और आंखें बंद करती हूं, मेरा दिमाग दौड़ने लगता है। याद आता है कि किराने का सामान लाना है, कपड़े धोने हैं और पता नहीं क्या-क्या।" उनका ये जवाब बताता है कि हर किसी का माइंडफुलनेस का तरीका अलग होता है। उनके लिए पिलेट्स और वॉक वही शांति और क्लैरिटी लाते हैं जो कुछ लोगों को योग से मिलती है।

पिलेट्स, वॉक और वज़न से बना बैलेंस
श्वेता तिवारी ने बताया कि उन्होंने कुछ वक्त पहले पिलेट्स शुरू किया और इसका असर उन्हें साफ महसूस होता है। पिलेट्स से उनकी बॉडी फ्लेक्सिबल रहती है, वॉक से स्टैमिना और मूड बेहतर होता है, वहीं हल्के वज़न से बॉडी टोनिंग में मदद मिलती है। उन्होंने ये भी माना कि वो अभी सीमित एक्सरसाइज़ कर रही हैं लेकिन धीरे-धीरे और एक्टिव होंगी। उनका फोकस लॉन्ग टर्म रिजल्ट पर है, न कि शॉर्टकट या ओवर एक्सरसाइज़ पर।

खाने में भी पूरा अनुशासन
फिटनेस सिर्फ एक्सरसाइज़ से नहीं आती बल्कि खानपान से भी जुड़ी होती है। श्वेता की डाइटिशियन डॉ. किनिता पटेल ने पहले बताया था कि श्वेता शूटिंग के दौरान भी खाने को लेकर बहुत सतर्क रहती हैं। हर मील पहले से प्लान होता है और वो वही खाती हैं जो उनकी फिटनेस रूटीन में फिट बैठता है। उनका ये अनुशासन ही उनकी फिटनेस की सबसे बड़ी ताकत है।

उम्र नहीं, नज़रिया मायने रखता है
श्वेता तिवारी का फिटनेस सफर ये साफ करता है कि हेल्दी रहने के लिए न तो उम्र रुकावट है, न ही महंगी ट्रेनिंग ज़रूरी। बस आपको खुद के लिए समय निकालना और सही फैसले लेने होते हैं। चाहे वो सुबह की वॉक हो, पिलेट्स का एक सेशन या सोच-समझकर किया गया हर मील – इन सबके ज़रिए श्वेता ना सिर्फ खुद को हेल्दी रखती हैं बल्कि कई लोगों के लिए इंस्पिरेशन भी बन गई हैं। उनकी कहानी बताती है कि आपको कोई ट्रेंड फॉलो करने की ज़रूरत नहीं है, बस अपने शरीर की सुनिए और वही कीजिए जो आपको लंबे समय तक फिट रखे।

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