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स्क्रीन टाइम कैसे करें कंट्रोल, कितना नुकसान पहुंचाता है ये? जानिए सब कुछ

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आज की डिजिटल दुनिया में स्क्रीन से दूर रहना लगभग नामुमकिन हो गया है। मोबाइल, लैपटॉप, टीवी या टैबलेट हर जगह स्क्रीन हमारे जीवन का हिस्सा बन चुकी है। ऑफिस के काम से लेकर मनोरंजन और सोशल मीडिया तक, हर चीज अब स्क्रीन पर ही निर्भर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज़्यादा स्क्रीन टाइम न केवल आपकी आंखों के लिए हानिकारक है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है?

स्क्रीन टाइम बढ़ने के खतरे

1. आंखों पर असर (डिजिटल आई स्ट्रेन)
लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, सूखापन, सिरदर्द और धुंधलापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है। लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप पर काम करने से आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं।

2. नींद की गुणवत्ता पर असर
स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को कम करती है, जो नींद लाने में मदद करता है। नतीजा यह होता है कि देर रात तक फोन चलाने वालों को नींद नहीं आती और सुबह थकान महसूस होती है।

3. मानसिक स्वास्थ्य पर असर
सोशल मीडिया पर घंटों स्क्रोल करना चिंता, तनाव और अवसाद (डिप्रेशन) को बढ़ा सकता है। दूसरों की जिंदगी से तुलना करने की आदत आत्मविश्वास को कम कर देती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी घट जाती है।

4. शारीरिक समस्याएं
लंबे समय तक एक ही पोजिशन में बैठकर स्क्रीन देखने से गर्दन और पीठ दर्द की शिकायत होती है। बच्चों में मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता (इनएक्टिविटी) जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।

स्क्रीन टाइम कैसे करें कंट्रोल

1. डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं
हर दिन कुछ घंटे “नो स्क्रीन टाइम” रखें। इस दौरान किताबें पढ़ें, टहलने जाएं या परिवार के साथ समय बिताएं। इससे दिमाग को स्क्रीन से ब्रेक मिलता है और एकाग्रता बढ़ती है।

2. 20-20-20 रूल अपनाएं
हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखें। यह आंखों की थकान कम करने का आसान और असरदार तरीका है।

3.स्क्रीन टाइम ट्रैकर का इस्तेमाल करें
आजकल मोबाइल में ऐसे फीचर्स और ऐप्स आते हैं जो बताते हैं कि आप रोज कितना समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं। आप चाहें तो इन ऐप्स से लिमिट सेट कर सकते हैं ताकि फालतू स्क्रोलिंग से बचा जा सके।

4. सोने से पहले स्क्रीन से दूरी रखें
नींद से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल या टीवी का इस्तेमाल बंद कर दें। इससे दिमाग शांत होता है और नींद बेहतर आती है।

5. बच्चों के स्क्रीन टाइम पर ध्यान दें
बच्चों को बाहर खेलने और रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करें। दो साल से छोटे बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखें, जबकि बड़े बच्चों के लिए प्रतिदिन एक घंटे तक स्क्रीन टाइम ही पर्याप्त है।

बता दें कि टेक्नोलॉजी आज की ज़रूरत है, लेकिन इसका अत्यधिक इस्तेमाल शरीर और मन दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। स्क्रीन टाइम को सीमित कर, आंखों की देखभाल कर और डिजिटल ब्रेक लेकर आप स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं। याद रखें स्क्रीन आपके नियंत्रण में रहे, न कि आप स्क्रीन के।

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