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दिन भर मन रहता है बेचैन तो सुनें Music, कुछ ही दिन में दिखेगा फर्क

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आज के समय में हर कोई किसी न किसी तनाव, दबाव या चिंता से जूझ रहा है। भागदौड़ भरी जिंदगी में मन का शांत रहना सबसे मुश्किल हो गया है। अगर आप भी दिनभर बेचैनी, चिड़चिड़ापन या अनफोकस्ड महसूस करते हैं, तो इसका एक बेहद आसान और असरदार इलाज है म्यूजिक थेरेपी (Music Therapy)। जी हां संगीत सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि ये मन और मस्तिष्क दोनों के लिए एक प्राकृतिक दवा का काम करता है।

संगीत क्यों है मन का टॉनिक
वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि जब हम संगीत सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में डोपामिन नाम के “फील-गुड हार्मोन” रिलीज होता है। यही हार्मोन हमें खुशी, सुकून और उत्साह का अहसास कराता है। धीमा और सुकून देने वाला म्यूजिक तनाव को कम करता है और दिमाग में चल रही उलझनों को शांत करता है। अमेरिकन साइकॉलजिकल एसोसिएशन के एक अध्ययन के अनुसार रोजाना सिर्फ 20 मिनट तक म्यूजिक सुनने से तनाव का स्तर 30% तक कम हो सकता है। यानी बिना दवा, बिना खर्च, सिर्फ कुछ मिनट संगीत के साथ बिताकर आप खुद को बेहतर महसूस कर सकते हैं।

बेचैनी के समय कौन-सा म्यूजिक सुनें

हर व्यक्ति की पसंद अलग होती है, लेकिन कुछ संगीत ऐसे हैं जो लगभग हर किसी के दिमाग पर सकारात्मक असर डालते हैं।

1. इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक – बिना बोल वाला धीमा संगीत, जैसे पियानो, फ्लूट या वीणा की धुनें मन को तुरंत शांत करती हैं।

2. नेचर साउंड्स– बारिश की आवाज, समुद्र की लहरें या पक्षियों की चहचहाहट वाला संगीत नींद और फोकस दोनों में सुधार लाता है।

3. मंत्र या ध्यान संगीत – “ओम” या अन्य ध्यान मंत्रों वाला म्यूजिक मानसिक स्थिरता बढ़ाता है।

4. क्लासिकल या सूफी संगीत – भारतीय शास्त्रीय और सूफी संगीत आत्मा तक पहुंचने की क्षमता रखता है। ये मन को भीतर से सुकून देते हैं।

म्यूजिक थेरेपी कैसे है असरदार

सिर्फ संगीत सुनना ही काफी नहीं इसे सही तरीके से अपनाना जरूरी है।

सही वक्त चुनें: सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले म्यूजिक सुनना सबसे अच्छा समय है।

इयरफोन की जगह स्पीकर इस्तेमाल करें: ताकि ध्वनि प्राकृतिक लगे और दिमाग को आराम दे।

ध्यान के साथ सुनें: जब संगीत सुनें, तो फोन या सोशल मीडिया से दूरी बनाएं।

धीरे-धीरे आदत बनाएं: शुरुआत में रोज 10 मिनट से शुरू करें, फिर समय बढ़ाएं।

म्यूजिक का दिमाग पर असर
संगीत सुनने से ब्रेन वेव्स यानी मस्तिष्क तरंगों की गति बदलती है। धीमा संगीत अल्फा वेव्स को एक्टिव करता है, जो मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ाते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर और थेरेपिस्ट भी चिंता, अवसाद या नींद की समस्या से जूझ रहे मरीजों को म्यूजिक थेरेपी अपनाने की सलाह देते हैं। ये हृदय की धड़कन और रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जो लोग नियमित संगीत सुनते हैं, उनमें तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर कम पाया जाता है।

कुछ ही दिनों में दिखेगा फर्क
अगर आप लगातार तनाव या बेचैनी महसूस करते हैं, तो हर दिन कम से कम 15–20 मिनट संगीत सुनने की आदत डालें। कुछ ही दिनों में आप खुद महसूस करेंगे कि आपका मूड बेहतर है, नींद गहरी आती है और काम पर फोकस बढ़ा है। संगीत आत्मा की भाषा है। ये बिना बोले भी बहुत कुछ कह देता है। इसलिए अगर मन बेचैन हो, हालात तनाव भरे हों या सोचें रुकने का नाम न लें, तो बस अपने पसंदीदा गीत चला लें। यकीन मानिए, कुछ ही सुरों में आपकी बेचैनी दूर हो जाएगी और मन को मिलेगा सुकून का स्पर्श।

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