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बदलते मौसम में कैसे कारगर होते हैं काढ़े, सर्दी-खांसी में कौन सा काढ़ा है सबसे असरदार

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मौसम बदलते ही सर्दी, खांसी, गले में खराश और बुखार जैसी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं. सुबह-शाम के तापमान में गिरावट और दिन में हल्की गर्मी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देती है. ऐसे समय में दवाइयों से ज्यादा असरदार होता है घरेलू नुस्खा काढ़ा. हमारे दादा-दादी के जमाने से काढ़े का इस्तेमाल हर मौसम में शरीर को रोगों से बचाने और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है.

क्या होता है काढ़ा और क्यों है जरूरी
काढ़ा दरअसल औषधीय जड़ी-बूटियों, मसालों और पत्तियों को पानी में उबालकर तैयार किया जाने वाला हर्बल पेय होता है. इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं. काढ़ा न केवल वायरस और बैक्टीरिया से बचाता है बल्कि गले की सूजन, बलगम और खांसी को भी कम करता है.

आयुर्वेद के अनुसार, बदलते मौसम में शरीर का वात, पित्त और कफ असंतुलित हो जाता है. काढ़ा इन तीनों दोषों को संतुलित करता है और शरीर को मौसमी संक्रमण से बचाता है.

बदलते मौसम में कौन से काढ़े हैं फायदेमंद

तुलसी-अदरक काढ़ा
तुलसी में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जबकि अदरक बलगम निकालने में मदद करता है. इस काढ़े को बनाने के लिए 8-10 तुलसी की पत्तियां, एक इंच अदरक का टुकड़ा, 4 काली मिर्च और थोड़ा शहद पानी में उबालें. सुबह और शाम गुनगुना पीने से खांसी-जुकाम में आराम मिलता है.

गिलोय और हल्दी का काढ़ा
गिलोय को ‘अमृता’ कहा गया है क्योंकि ये शरीर की इम्युनिटी को मजबूत करता है. एक गिलास पानी में गिलोय की डंडी, आधा चम्मच हल्दी और एक चुटकी काली मिर्च डालकर उबालें. ये काढ़ा बुखार और शरीर के दर्द में बहुत फायदेमंद होता है.

मुलेठी और दालचीनी काढ़ा
मुलेठी गले की खराश और खांसी में बेहद असरदार है. दालचीनी शरीर में गर्माहट बनाए रखती है. दोनों को पानी में उबालकर सुबह खाली पेट या रात में सोने से पहले पीना लाभकारी होता है. इससे गले की सूजन और खांसी में तुरंत आराम मिलता है.

काली मिर्च और तुलसी का काढ़ा
ये काढ़ा खास तौर पर उन लोगों के लिए अच्छा है जिन्हें सर्दी जल्दी लग जाती है. पांच-छह तुलसी की पत्तियां, दो चुटकी काली मिर्च और थोड़ा शहद डालकर बनाएं. इसे दिन में एक बार पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

काढ़ा पीते वक्त ध्यान रखने वाली बातें

काढ़ा हमेशा गुनगुना पीना चाहिए, बहुत गरम नहीं.

खाली पेट न पिएं, इससे एसिडिटी की दिक्कत हो सकती है.

एक दिन में दो बार से ज्यादा काढ़ा न लें.

गर्भवती महिलाएं या बच्चे काढ़ा पीने से पहले डॉक्टर की सलाह लें.

बदलते मौसम में रखें शरीर की देखभाल
काढ़ा सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि शरीर की ढाल है. अगर आप रोजाना सुबह-शाम एक कप काढ़ा पीने की आदत डाल लें तो सर्दी, खांसी, बुखार जैसी मौसमी बीमारियां पास भी नहीं फटकेंगी. साथ ही ये शरीर को अंदर से डिटॉक्स करने का काम करता है और आपको एनर्जी से भर देता है.

बदलते मौसम में जब संक्रमण का खतरा बढ़ा होता है, तब ये घरेलू नुस्खे ही सबसे ज्यादा कारगर साबित होते हैं. इसलिए दवाइयों पर निर्भर रहने से बेहतर है कि आप अपनी रसोई में मौजूद तुलसी, अदरक, हल्दी और गिलोय जैसी चीजों से बना काढ़ा अपनाएं. सेहत भी सुधरेगी और रोगों से बचाव भी होगा.

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