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अगर पूजा में नहीं लग रहा मन, ध्यान नहीं हो पा रहा तो जानिए क्यों होता है ऐसा और कैसे करें इसे दूर

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आधुनिक जीवन की भागदौड़ में अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि अब पूजा या ध्यान में मन नहीं लगता। पहले जहां कुछ मिनटों में शांति मिल जाती थी, वहीं अब बैठते ही मन इधर-उधर भटकने लगता है। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, और क्या इसका कोई समाधान है? आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण और कुछ सरल उपाय, जिनसे आप फिर से भक्ति और एकाग्रता का अनुभव कर सकते हैं।

क्यों नहीं लग रहा मन पूजा या ध्यान में?

1. मानसिक उलझनें और तनाव:
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में काम, परिवार और जिम्मेदारियों का दबाव इतना बढ़ गया है कि मन शांत नहीं रह पाता। जब तक मन में तनाव या चिंता है, तब तक ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है।

2. डिजिटल डिस्टर्बेंस:
लगातार मोबाइल, सोशल मीडिया या टीवी में व्यस्त रहना दिमाग को हमेशा सक्रिय और बेचैन रखता है। पूजा या ध्यान के समय यह बेचैनी शांत नहीं हो पाती।

3. शारीरिक थकान:
शरीर थका हुआ हो तो मन भी स्थिर नहीं रह सकता। नींद की कमी या असंतुलित दिनचर्या ध्यान में बाधा डालती है।

4. रूचि का कम होना:
कई बार पूजा या ध्यान केवल एक "रूटीन" बन जाता है। जब भाव और जुड़ाव कम हो जाता है, तो मन अपने आप हट जाता है।

5. ऊर्जा का असंतुलन:
वास्तुशास्त्र और अध्यात्म के अनुसार, जब घर का या व्यक्ति का “ऑरा” नेगेटिव होता है तो भक्ति भावना कमजोर पड़ जाती है।

कैसे लाएं फिर से शांति और एकाग्रता

1. छोटे समय से शुरू करें:
अगर लंबे समय तक ध्यान नहीं बैठ पा रहा, तो शुरुआत में 5 मिनट बैठें। धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। ज़रूरी नहीं कि पहली बार में ही गहरा ध्यान लगे।

2. सुबह का समय चुनें:
ब्रह्ममुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले का समय ध्यान और पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इस वक्त वातावरण शांत और ऊर्जा शुद्ध होती है।

3. सांस पर फोकस करें:
ध्यान से पहले गहरी सांसें लें। इससे मन और शरीर दोनों शांत होते हैं। आप “ओम” का उच्चारण कर सकते हैं, यह मानसिक कंपन को संतुलित करता है।

4. मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक चीजें दूर रखें:
पूजा के वक्त मोबाइल साइलेंट करें या दूसरे कमरे में रखें। कोशिश करें कि उस समय कोई बाहरी रुकावट न आए।

5. भक्ति को भाव से करें, न कि केवल नियम से:
पूजा केवल क्रिया नहीं, भावनात्मक जुड़ाव है। जब आप भगवान से दिल से संवाद करेंगे, तो मन अपने आप स्थिर होने लगेगा।

6. सकारात्मक माहौल बनाएं:
घर में अगरबत्ती, दीपक या सॉफ्ट मंत्र-संगीत चलाएं। साफ-सुथरा और सुगंधित वातावरण मन को केंद्रित करने में मदद करता है।

7. कृतज्ञता का भाव रखें:
हर दिन कुछ मिनट उन चीज़ों के लिए आभार जताएं जो आपके पास हैं। यह भावना मन को विनम्र और शांत बनाती है।

बता दें कि मन का चंचल होना स्वाभाविक है लेकिन नियमित अभ्यास से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जब आप बिना किसी दबाव या दिखावे के पूजा करेंगे तब धीरे-धीरे भक्ति का रस फिर से महसूस होने लगेगा। याद रखें भगवान भाव के भूखे हैं, नियमों के नहीं। इसलिए हर दिन थोड़ा समय खुद को और अपनी आत्मा से जुड़ने के लिए दें, यही सच्ची पूजा है।

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