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कपास पर आयात शुल्क हटाने से किसानों को नुकसान या कपड़ा उद्योग को फायदा? जानें सरकार के फैसले की पूरी सच्चाई!

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भारत सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक अमेरिका से आयातित कपास पर 11% आयात शुल्क (5% सीमा शुल्क, 5% कृषि अवसंरचना उपकर और 1% सामाजिक कल्याण सेस) हटाने का फैसला किया है. यह कदम अमेरिका द्वारा भारत के सामानों पर 50% टैरिफ लगाने के जवाब में कपड़ा उद्योग को राहत देने के लिए उठाया गया है. लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह निर्णय 6 मिलियन भारतीय कपास किसानों को नुकसान पहुंचाएगा. आइए इस फैसले के नफा-नुकसान की पड़ताल करते हैं.

कपास उत्पादन और खपत का गणित
भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 25% (2024-25 में 2.95 करोड़ गांठ या 50.15 लाख टन) पैदा करता है. गुजरात और महाराष्ट्र प्रमुख उत्पादक राज्य हैं, जहां 94 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती होती है. लेकिन उत्पादकता 450 किग्रा/हेक्टेयर है, जो चीन (1993 किग्रा/हेक्टेयर) से काफी कम है. देश में सालाना 3.2 करोड़ गांठ की खपत होती है, जिसके लिए 37% आयात अमेरिका से होता है. 2024-25 में भारत ने 1 लाख गांठ से अधिक कपास आयात किया.

कीमतों का अंतर और किसानों पर असर
दिसंबर 2024 में पंजाब की मंडियों में कपास की कीमत 7,350 रुपये/क्विंटल (73.5 रुपये/किग्रा) थी, जबकि अमेरिकी कपास की औसत कीमत 48 रुपये/किग्रा है. शिपिंग और बीमा के बाद यह 60-70 रुपये/किग्रा हो जाती है. सरकार ने मध्यम कपास का MSP 7,710 रुपये और लंबी कपास का 8,110 रुपये/क्विंटल तय किया है. भारतीय कपास निगम (CCI) ने पिछले साल 63 लाख गांठ (46% उत्पादन) MSP पर खरीदी थी. आयात शुल्क हटने से सस्ता अमेरिकी कपास बाजार में आएगा, जिससे कीमतें 6,000 रुपये (355.6 किग्रा) तक गिर सकती हैं, जो किसानों के लिए नुकसानदायक हो सकता है.

कपड़ा उद्योग को राहत
कपड़ा उद्योग जो 35 मिलियन लोगों को रोजगार देता है और 80% निर्यात में योगदान देता है इस फैसले से लाभान्वित होगा. सस्ता कच्चा माल उत्पादन लागत कम करेगा, जिससे भारत के कपड़ा उत्पाद बांग्लादेश और वियतनाम के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनेंगे. उद्योग संगठन CITI ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन दीर्घकालिक राहत के लिए शुल्क-मुक्त आयात को मार्च-सितंबर तक लागू करने की मांग की है.

किसानों की चिंता और विपक्ष का विरोध
विपक्ष और किसान संगठन, जैसे संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सस्ता आयात कपास की कीमतें गिराएगा, जिससे गुजरात, महाराष्ट्र, और तेलंगाना के किसानों को नुकसान होगा. खरीफ सीजन (अक्टूबर-मार्च) में नई फसल आने पर कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है.

नफा होगा या नुकसान?
सरकार का यह कदम कपड़ा उद्योग को अमेरिकी टैरिफ (50%) से राहत देगा और $100 बिलियन निर्यात लक्ष्य (2030) को समर्थन देगा. लेकिन अक्टूबर से फसल बिक्री शुरू होने पर किसानों को MSP से कम कीमत मिलने का खतरा है. सरकार को MSP खरीद बढ़ाने और वैकल्पिक बाजारों (यूके, ईयू) पर ध्यान देने की जरूरत है.

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