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Trump का बड़ा फैसला: Palestine के PLO और PA को किया UN जनरल असेंबली से बाहर, वीजा भी रद्द

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने फिलिस्तीन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। ट्रंप प्रशासन ने ऐलान किया है कि सितंबर 2025 में होने वाली संयुक्त राष्ट्र (UN) जनरल असेंबली की बैठक में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) और फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) के सदस्य हिस्सा नहीं ले पाएंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ कहा कि इन संगठनों के लिए नए वीजा जारी नहीं होंगे और पहले से दिए गए वीजा भी रद्द किए जाएंगे। ये फैसला दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया है। 

ट्रंप सरकार का सख्त रुख
मार्को रुबियो ने कहा कि PLO और PA शांति के लिए काम नहीं कर रहे। उनके मुताबिक ये दोनों संगठन आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं और शांति की राह में रोड़ा बन रहे हैं। रुबियो ने 7 अक्टूबर 2023 के हमले का जिक्र करते हुए कहा कि इन संगठनों ने आतंकवाद को खुलकर समर्थन दिया है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि PA और PLO शिक्षा के जरिए बच्चों में हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं जो अमेरिकी कानूनों के खिलाफ है। रुबियो ने साफ किया कि जब तक ये संगठन आतंकवाद को पूरी तरह छोड़ नहीं देते उन्हें शांति वार्ता का हिस्सा नहीं माना जाएगा।

इंटरनेशनल मंचों पर एकतरफा कोशिशें
ट्रंप सरकार का कहना है कि PA और PLO ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) जैसे मंचों पर जाकर इजरायल के खिलाफ कार्रवाई की कोशिश की। वो बिना बातचीत के फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता दिलाने की जिद पर अड़े हैं। रुबियो ने इसे ‘लॉफेयर’ यानी कानूनी जंग करार दिया और कहा कि ये शांति के लिए हानिकारक है। अमेरिका चाहता है कि PA और PLO इजरायल के साथ सीधी बातचीत करें न कि इंटरनेशनल मंचों पर एकतरफा कदम उठाएं।

गाजा युद्धविराम में बाधा
रुबियो ने ये भी कहा कि इन संगठनों ने गाजा में युद्धविराम की कोशिशों को नाकाम करने में बड़ी भूमिका निभाई। हमास ने बंधकों को रिहा करने से इनकार किया और PA-PLO ने भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ट्रंप सरकार का मानना है कि इन संगठनों की आतंकवादी गतिविधियां अभी भी जारी हैं जिसके चलते उन पर सख्ती जरूरी हो गई थी।

इजरायल के साथ समझौता जरूरी
अमेरिका ने साफ किया कि वो PA और PLO से तभी बात करेगा जब वो इजरायल के साथ शांति समझौता करेंगे। रुबियो ने कहा कि अमेरिका अपने कानूनों के तहत काम कर रहा है और अगर ये संगठन शांति की दिशा में कदम उठाते हैं तो बातचीत के रास्ते खुले हैं। हालांकि फिलिस्तीनी दूत रियाद मंसूर ने इस फैसले पर हैरानी जताई और कहा कि वो इसका जवाब देंगे। ये फैसला विवादास्पद हो सकता है, क्योंकि UN ने फिलिस्तीन को गैर-सदस्य पर्यवेक्षक का दर्जा दे रखा है। PA के मिशन को UN में छूट दी गई है लेकिन बड़े नेताओं जैसे महमूद अब्बास पर रोक लग सकती है।

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