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SCO समिट 2025: Modi, Jinping, Putin की तिकड़ी से हिलेगा Trump का तख्त, 49% आबादी की ताकत दिखाएगी दम!

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चीन के तियानजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक होने वाला शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 25वां समिट दुनिया की नजरों में है। ये समिट सिर्फ एक क्षेत्रीय बैठक नहीं बल्कि वैश्विक ताकत का प्रदर्शन है। SCO के 10 सदस्य देश दुनिया की 49% आबादी और 31% अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में ये समिट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मनमाने टैरिफ और नीतियों को जवाब देने का मंच बन सकता है। खास बात ये है कि पीएम नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकातें इस समिट की शोभा बढ़ाएंगी।

SCO एक ऐसा संगठन है जो सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देता है। इसके 10 सदस्य देश भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा हिस्सा रखते हैं। 2025 के IMF अनुमानों के मुताबिक, इन देशों की कुल GDP 26.8 ट्रिलियन डॉलर है जो दुनिया की 110 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का 22.5% है। अगर SCO के पर्यवेक्षक और संवाद सहयोगी देशों को जोड़ा जाए, तो ये आंकड़ा 36 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचता है यानी वैश्विक GDP का 31%। ये ताकत G7 (30 ट्रिलियन) और NATO (36 ट्रिलियन) को कड़ी टक्कर देती है।

कायम है SCO का दबदबा
आबादी के लिहाज से भी SCO का दबदबा है। इसके सदस्य देशों की जनसंख्या 3.44 अरब है जो दुनिया की 8.1 अरब आबादी का 42% है। पर्यवेक्षक और संवाद सहयोगियों को मिलाकर ये आंकड़ा 4 अरब तक पहुंचता है यानी वैश्विक आबादी का 49%। भारत (1.46 अरब) और चीन (1.41 अरब) जैसे विशाल बाजारों की मौजूदगी SCO को और मजबूत बनाती है। कोई भी देश, चाहे वो अमेरिका ही क्यों न हो, इस बाजार को नजरअंदाज नहीं कर सकता।

पीएम मोदी की मौजूदगी है बेहद खास
इस समिट में पीएम मोदी की मौजूदगी खास मायने रखती है। वो 7 साल बाद चीन पहुंचे हैं और उनकी शी जिनपिंग और पुतिन के साथ अलग-अलग मुलाकातें हुई हैं। ये मुलाकातें 2020 के बाद भारत-चीन सीमा तनाव को कम करने की दिशा में अहम हो सकती हैं। साथ ही ट्रंप के भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए लगाए 25% टैरिफ को लेकर भी चर्चा हो सकती है। SCO समिट में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और सतत विकास जैसे मुद्दों पर जोर होगा। ट्रंप की नीतियों से नाराज कई देश इस मंच पर एकजुटता दिखा सकते हैं। खासकर रूस और चीन जो अमेरिका के खिलाफ एक वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था चाहते हैं SCO को इसका बड़ा मंच मानते हैं। मोदी की कूटनीति यहां भारत को संतुलित और ताकतवर स्थिति में रखेगी।

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