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Trump का India दौरा रद्द, Modi-Xi की मुलाकात से America में हलचल, क्या बिगड़ गए भारत-US रिश्ते?

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भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन 2025 के लिए अपनी प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी है। ये फैसला भारत-अमेरिका रिश्तों में आई कड़वाहट के बीच आया है, जो भारत के रूस से तेल खरीदने और ट्रंप के 50% टैरिफ के कारण और गहरी हो गई है। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में हिस्सा लेने पहुंचे हैं जहां वो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। इस बीच ट्रंप के भारत न आने के फैसले ने दोनों देशों के रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ट्रंप ने क्यों रद्द किया भारत दौरा?
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने पहले पीएम मोदी को भरोसा दिया था कि वो इस साल के अंत में क्वाड समिट के लिए भारत आएंगे। लेकिन अब उनके शेड्यूल से जुड़े लोगों का कहना है कि उनकी ऐसी कोई योजना नहीं है। इसकी बड़ी वजह भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव माना जा रहा है। ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया था और रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया, जिससे भारत का टैरिफ 50% हो गया। ट्रंप का दावा है कि ये टैरिफ भारत को रूस की मदद करने की सजा के रूप में लगाया गया। भारत ने इस टैरिफ को अनुचित और अनपेक्षित बताया। इसके अलावा, ट्रंप का भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता का दावा और नोबेल पुरस्कार की उनकी उम्मीदों को ठुकराना भी रिश्तों में तनाव की वजह बना।

भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव
भारत और अमेरिका के रिश्ते 2020 की गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद से तनावपूर्ण हैं। ट्रंप ने मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष को सुलझाने का दावा किया, जिसे भारत ने खारिज कर दिया। इसके बाद ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया, जिसमें 25% सामान्य टैरिफ और 25% रूस से तेल खरीदने की सजा के रूप में है। ये टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दे रहे हैं। साथ ही, ट्रंप का दावा कि वो भारत-पाकिस्तान युद्ध को खत्म करने में मददगार रहे, भारत की नीति के खिलाफ माना जाता है।

क्वाड समिट का महत्व
क्वाड समिट भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक रणनीतिक समूह है, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए बनाया गया है। भारत इस साल नवंबर में इसकी मेजबानी करने वाला है। ट्रंप के भारत न आने का फैसला क्वाड के भविष्य और भारत-अमेरिका रिश्तों पर सवाल उठाता है। भारत इस समिट में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगा, लेकिन अमेरिका की गैरमौजूदगी इसे कमजोर कर सकती है।

भारत-चीन की नजदीकियां और अमेरिका की चिंता
मोदी की चीन यात्रा और शी जिनपिंग के साथ उनकी मुलाकात ने अमेरिका की चिंताओं को बढ़ा दिया है। कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ और भारत-पाकिस्तान युद्ध में मध्यस्थता के उनके दावों ने भारत को चीन और रूस के करीब ला दिया है। भारत की रूस के साथ तेल खरीद और SCO जैसे मंचों पर उसकी सक्रियता ने अमेरिका को सतर्क कर दिया है। भारत की नीति हमेशा से रणनीतिक स्वायत्तता रही है, लेकिन ट्रंप के ताजा फैसलों ने भारत को चीन के साथ रिश्ते सुधारने के लिए प्रेरित किया है। 

ट्रंप-मोदी रिश्तों का इतिहास
ट्रंप और मोदी के बीच पहले कार्यकाल में “हाउडी मोदी” और “नमस्ते ट्रंप” जैसे आयोजनों के दौरान गर्मजोशी भरे रिश्ते थे। लेकिन जून 2025 में हुई एक फोन कॉल में ट्रंप के भारत-पाकिस्तान युद्ध को सुलझाने के दावे और नोबेल पुरस्कार की उनकी इच्छा को मोदी के ठुकराने से रिश्ते बिगड़ गए। ट्रंप ने इस कॉल में कहा था कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करने वाला है और भारत को भी ऐसा करना चाहिए। मोदी ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया जिसके बाद ट्रंप ने भारत पर सख्त रुख अपनाया।

ट्रंप का भारत दौरा रद्द करना और 50% टैरिफ ने भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव को उजागर किया है। मोदी की चीन यात्रा और SCO समिट में उनकी सक्रियता भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाती है। लेकिन ये कदम अमेरिका को भारत के रूस और चीन के साथ बढ़ते सहयोग को लेकर सतर्क कर सकता है।

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