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जान ले लेगा Laughing Gas का खतरनाक जहर|! Germany में युवाओं पर टूट रहा कहर

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जर्मनी में लाफिंग गैस यानी नाइट्रस ऑक्साइड की लत अब जानलेवा बन रही है। छोटे-छोटे रंग-बिरंगे सिलेंडरों में बिकने वाली ये गैस पार्टी ड्रग के तौर पर टीनएजर्स और युवाओं में खूब पसंद की जाती है। इसे गुब्बारे में भरकर सूंघा जाता है । लेकिन इसके साथ गंभीर खतरे भी जुड़े हैं। जर्मनी में इस गैस से जहरीले संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिससे अस्पतालों की आपातकालीन सेवाएं दबाव में हैं।

बढ़ते मामले चिंता का सबब
बर्लिन के चैरिटे हॉस्पिटल के पॉइजन इमरजेंसी सर्विस प्रमुख डाविड श्टाइंडल बताते हैं कि 2023 में लाफिंग गैस से जहरीले संक्रमण के 35 मामले थे जो 2024 में बढ़कर 56 हो गए। बाडेन-वुर्टेमबेर्ग में 2023 में सिर्फ 6 मामले सामने आए थे जो 2024 में 17 हो गए। हैम्बर्ग लोअर सैक्सनी ब्रेमेन और श्लेषविग-होल्श्टाइन जैसे राज्यों में भी ऐसे मामलों में तेजी देखी जा रही है। खास बात ये है कि ज्यादातर पीड़ित युवा हैं और इनमें कई टीनएजर्स भी शामिल हैं।

सेहत और सुरक्षा को खतरा
लाफिंग गैस का असर तुरंत होता है। ये चक्कर बेहोशी और मतिभ्रम का कारण बन सकती है। सबसे खतरनाक बात ये है कि इससे नर्वस सिस्टम को स्थायी नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञ डॉ. श्टाइंडल का कहना है कि इस गैस पर पूरी तरह रोक लगाना ठीक नहीं लेकिन कुछ सख्त नियम जरूरी हैं। हैम्बर्ग में इसके खिलाफ जागरूकता अभियान शुरू हो चुका है। वहां स्वच्छता विभाग ने चेताया है कि फेंके गए नाइट्रस ऑक्साइड के गुब्बारे कचरा जलाने वाली जगहों पर विस्फोट का खतरा पैदा कर सकते हैं।

कानून लाने की तैयारी
जर्मनी सरकार नाबालिगों को लाफिंग गैस खरीदने और रखने से रोकने के लिए नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। ये कानून ऑनलाइन और वेंडिंग मशीनों के जरिए इसकी बिक्री पर भी रोक लगाएगा। ब्रिटेन में 2023 से ही इसे रखना गैरकानूनी है। नीदरलैंड्स और डेनमार्क में भी सख्त नियम लागू हैं। जर्मनी में ये कानून 2025 में लागू हो सकता है।

सड़क हादसों का कारण
लाफिंग गैस सिर्फ सेहत ही नहीं सड़क सुरक्षा के लिए भी खतरा है। यूरोपीय संघ की ड्रग एजेंसी के मुताबिक नीदरलैंड्स में 2019 से 2021 के बीच इस गैस की वजह से हादसे 80% बढ़े। फ्रैंकफर्ट में हाल ही में एक 23 साल के युवक ने लाफिंग गैस लेने के बाद कार चलाते हुए ई-स्कूटर सवारों को कुचल दिया जिसमें दो लोगों की मौत हो गई।

बच्चे भी खतरे में
विशेषज्ञ काटरीन रोमानेक बताती हैं कि ज्यादातर पीड़ित युवा हैं। कई टीनएजर्स न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। मैक्लेनबुर्ग-वेस्टर्न पोमेरानिया सैक्सनी और थुरिंजिया में भी मामले सामने आए हैं। जॉइंट पॉइजन इंफॉर्मेशन सेंटर की विशेषज्ञ डागमार प्रासा के मुताबिक एक 13 साल से कम उम्र का बच्चा भी इस गैस का शिकार बना।

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