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SCO समिट में Modi-Jinping की दोस्ती ने उड़ाए ट्रंप के होश, Navarro ने फिर छेड़ी तीखी जंग!

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चीन के तियानजिन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी। भारत और चीन की बढ़ती नजदीकी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो को आगबबूला कर दिया। नवारो ने एक बार फिर भारत पर रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को फंड करने का इल्ज़ाम लगाया। उनकी तीखी टिप्पणियों ने भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव को और बढ़ा दिया।

नवारो का भारत पर हमला
एक इंटरव्यू में नवारो ने दावा किया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसकी “युद्ध मशीन” को पैसे मुहैया करा रहा है। उन्होंने कहा कि 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले भारत रूस से बहुत कम तेल खरीदता था। अब भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल को सस्ते में खरीदकर उसे रिफाइन करती हैं और यूरोप, अफ्रीका व एशिया में ऊंचे दामों पर बेचती हैं। नवारो ने इसे “क्रेमलिन के लिए मनी लॉन्ड्रिंग” करार दिया और कहा कि इससे रूस को यूक्रेन में युद्ध लड़ने में मदद मिल रही है।

भारत-चीन की एकजुटता
31 अगस्त को SCO समिट के मौके पर पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग बढ़ाने और रिश्तों को मजबूत करने की बात कही। विदेश मंत्रालय के मुताबिक मोदी और जिनपिंग ने आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए साझा रणनीति पर जोर दिया। दोनों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत और चीन एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि विकास के साझेदार हैं। मोदी ने जिनपिंग को 2026 में भारत में होने वाले ब्रिक्स समिट में आने का न्योता भी दिया।

ट्रंप के टैरिफ का जवाब
अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 50% टैरिफ लगा दिया, जिसमें 25% टैरिफ जुलाई में और 25% अगस्त में जोड़ा गया। ये टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो चुके हैं। नवारो ने कहा कि भारत अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल रूसी तेल खरीदने में करता है, जबकि अमेरिकी सामान पर भारी टैरिफ लगाता है। उन्होंने भारत को “सामरिक मुफ्तखोरी” करने वाला तक कह डाला। भारत ने जवाब में कहा कि उसका तेल आयात राष्ट्रीय हितों और वैश्विक बाजार की जरूरतों के लिए है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि अमेरिका ने ही भारत से रूसी तेल खरीदकर वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने को कहा था।

भारत का कड़ा रुख
भारत ने नवारो के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसका तेल आयात वैश्विक नियमों के तहत है। भारत ने रूस से तेल खरीदकर वैश्विक तेल कीमतों को 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से रोका। यूएस ट्रेजरी सेक्रेटरी जैनेट येलन और राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी भारत की इस भूमिका की तारीफ की थी। भारत ने ये भी बताया कि चीन रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है, फिर भी उसे कम टैरिफ का सामना करना पड़ता है।

वैश्विक मंच पर भारत की ताकत
SCO में मोदी, पुतिन और जिनपिंग की एकता ने ट्रंप को साफ संदेश दिया कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखेगा। भारत-चीन की नजदीकी और रूस के साथ मजबूत रिश्तों ने वैश्विक कूटनीति में नया समीकरण बनाया है। नवारो की तल्ख टिप्पणियों के बावजूद भारत अपनी नीतियों पर अडिग है और वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए काम कर रहा है।

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