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Tariff विवाद के बीच PM Modi का बड़ा फैसला, UN महासभा से PM की दूरी का बड़ा संदेश

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भारत और अमेरिका के रिश्तों में इन दिनों खटास साफ दिखाई दे रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वाले फैसले ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। अब इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा कदम उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की बैठक में शामिल न होने का फैसला लिया है। पीएम मोदी की जगह इस बार विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। ये फैसला ऐसे समय पर आया है जब भारत और अमेरिका के रिश्ते सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।

अमेरिका-भारत रिश्तों में बढ़ती दूरियां
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। दरअसल, यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा था, जिस पर अमेरिका ने नाराजगी जताई और टैरिफ बढ़ा दिया। पहले 25 प्रतिशत और फिर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगने से भारत के लिए अमेरिका को निर्यात करना बेहद महंगा हो गया है। इसका असर न सिर्फ व्यापार पर पड़ा है बल्कि दोनों देशों के राजनीतिक रिश्तों पर भी दिखाई दे रहा है। ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि उन्होंने भारत और रूस को खो दिया है।

UN महासभा से दूरी का बड़ा संदेश
पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा में न जाना सिर्फ एक साधारण फैसला नहीं है बल्कि इसे कूटनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका और भारत के बीच जिस तरह हालात बिगड़े हैं, उस माहौल में पीएम मोदी का UN सत्र से दूरी बनाना कई मायनों में अहम है। भारत ये दिखाना चाहता है कि वो किसी भी दबाव की राजनीति में झुकने वाला नहीं है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के शामिल होने से ये भी साफ हो गया है कि भारत कूटनीति के स्तर पर संतुलन साधते हुए भी अपने रुख से पीछे नहीं हटेगा।

क्वाड बैठक पर भी सवाल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत में होने वाली क्वाड बैठक में शामिल होना था, लेकिन अब रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि उनका ऐसा कोई प्लान ही नहीं है। ये खबर दोनों देशों के रिश्तों को लेकर और भी सवाल खड़े करती है। अमेरिका और भारत के बीच पहले जहां सामरिक साझेदारी को मजबूत करने की बात होती थी, वहीं अब व्यापार और विदेश नीति को लेकर लगातार टकराव दिख रहा है।

भारत का साफ रुख,' दबाव में नहीं झुकेगा देश' 
भारत हमेशा से अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर देता आया है। रूस से तेल खरीदने का फैसला भी इसी सोच का हिस्सा था। अमेरिका ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी। पीएम मोदी का UN महासभा में न जाना इसी संदेश को और मजबूत करता है कि भारत किसी भी तरह के दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।

ट्रंप के टैरिफ विवाद के बाद भारत और अमेरिका के बीच बातचीत जारी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्ते और कसौटी पर होंगे। पीएम मोदी का ये फैसला न सिर्फ घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत की आत्मनिर्भर और स्पष्ट नीति को दिखाता है।

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