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Kathmandu में शांति की डोर Gorkha वीरों के हाथ में, 95, 000 सैनिकों ने Gen-Z प्रोटेस्ट पर पाया काबू

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नेपाल में जेन-जी प्रोटेस्ट्स ने भारी तूफान मचा दिया है। 30 से ज्यादा मौतें हुईं, संसद सुप्रीम कोर्ट और मंत्रालय जला दिए गए। पीएम केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन नेपाल आर्मी ने काठमांडू पर कंट्रोल ले लिया। सैनिकों ने सड़कों पर गश्त की, आर्मर्ड व्हीकल्स से जले वाहनों के मलबे के बीच शांति बनाई। लाउडस्पीकर से लोगों को शांति का संदेश दिया। जनरल अशोक राज सिगडेल ने खुद कमान संभाली। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से हिंसा छोड़ बातचीत की अपील की। तीन क्षेत्रीय कमांडर्स ने जमीनी ऑपरेशन चलाए। पश्चिमी कमान में मेजर जनरल ज्ञान देव पांडे, मध्य में बिनया बिक्रम राणा और पूर्वी में संतोष कुमार ढकाल ने इलाकों को सुरक्षित किया। सेना ने कर्फ्यू लागू कर लूट-हिंसा रोकी। अब बातचीत शुरू हो गई लेकिन फैसला बाकी है।

सेना का गौरवशाली इतिहास
नेपाल आर्मी की जड़ें 1560 में गोरखा साम्राज्य से जुड़ी हैं। पहले गोरखाली आर्मी कहलाती थी। पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल एकीकरण के लिए मजबूत फौज बनाई। 1744 में नुवाकोट पर कब्जा कर शाही नेपाली आर्मी बनी। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखाओं की बहादुरी देखी तो उन्हें अपनी सेना में भर्ती किया। 1815 में गोरखा रेजिमेंट बनी। 2008 में राजशाही खत्म होने पर नाम नेपाली आर्मी हो गया। सेना ने माओवादी विद्रोह, दक्षिण एशिया युद्धों और यूएन पीसकीपिंग में हिस्सा लिया। गोरखा सैनिकों का खुकुरी युद्ध का प्रतीक है। उनका नारा 'जय महाकाली आयो गोरखाली' मशहूर है।

सेना की ताकत और स्ट्रक्चर
नेपाल आर्मी में करीब 95,000 एक्टिव सैनिक हैं। पैदल सेना और एयर सर्विस शामिल। इसका काठमांडू में मुख्यालय है। राष्ट्रपति सुप्रीम कमांडर हैं लेकिन नेशनल डिफेंस काउंसिल कंट्रोल करती है। इसमें पीएम, डिफेंस मिनिस्टर, आर्मी चीफ समेत सात सदस्य भी शामिल हैं। बता दें कि 2006 तक इसको राजा कंट्रोल करता था।
नेपाली सेना छह कॉम्बैट डिवीजन में बंटी हुई है। एयर डिफेंस, लॉजिस्टिक्स, आर्टिलरी और एयरबोर्न फोर्सेस हैं। इसका बजट लगभग 440 मिलियन डॉलर है। भारत चीन और अमेरिका से मदद मिलती है। गोरखा रेजिमेंट भारतीय सेना का हिस्सा है जो 1947 के त्रिपक्षीय एग्रीमेंट से बनी। ये रेजिमेंट 1947-48, 1962, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में खास तौर पर सामने आई। इसको लेकर फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने भी कहा था कि गोरखा को मौत का डर नहीं लगता।

हथियार और भारत कनेक्शन  
सेना के ज्यादातर हथियार भारत से आते हैं और अनुदान के तहत राइफल्स, गोला-बारूद मिलते हैं। इसकी पहली स्टैंडर्ड राइफल 1960 में बेल्जियन FN FAL थी। फिर ब्रिटिश L1A1 और 2002 से अमेरिकी M-16। FN FAL अभी भी मुख्य है। जर्मनी, अमेरिका, बेल्जियम, इजराइल और साउथ कोरिया से भी सप्लाई इसको होती है। इस सेना का खुकुरी पारंपरिक हथियार है।वहीं जनरल सिगडेल को भारत ने मानद जनरल रैंक दी है। दोनों देशों के बीच सैन्य रिश्ते काफी मजबूत भी हैं। इस सेना ने हालिया संकट में शांति बहाल कर नेपाल को स्थिरता भी दी है, जिससे यह काफी चर्चा में है।

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