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Supreme Court का बड़ा फैसला: Waqf संशोधन कानून पर पूरी रोक नहीं, कुछ नियमों पर लगाई अंतरिम ब्रेक

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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून 2025 पर पूरी तरह रोक लगाने से मना कर दिया। लेकिन कुछ खास नियमों पर अंतरिम रोक जरूर लगाई है। कोर्ट ने पक्षकारों के हितों को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाया। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह की बेंच ने 128 पेज के विस्तृत आदेश में साफ कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाना सही नहीं। सिर्फ चुनिंदा प्रावधानों पर अड़चन डाली गई। ये फैसला वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विवादों पर बड़ा असर डालेगा।

किन नियमों पर लगी रोक?
कोर्ट ने वक्फ करने के लिए कम से कम 5 साल तक मुस्लिम होने की शर्त पर ब्रेक लगा दी। कोर्ट का कहना है कि जब तक सरकार इसकी जांच का कोई साफ तरीका नहीं बनाती तब तक ये नियम रुकेगा। साथ ही विवादित संपत्ति को वक्फ मानने से पहले डेजिग्नेटेड अधिकारी की रिपोर्ट का इंतजार करने वाले नियम पर भी रोक लगी। यानी जब तक ट्रिब्यूनल या हाई कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता संपत्ति का स्टेटस नहीं बदलेगा। न ही राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव होगा और न ही तीसरे पक्ष को कोई अधिकार मिलेगा।

पंजीकरण और प्रबंधन पर क्या हुआ फैसला?
वक्फ संपत्तियों का उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण जारी रहेगा। कोर्ट ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई। बाकी प्रावधान भी लागू रहेंगे। केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 में से 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। राज्य वक्फ बोर्ड में 11 में से 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम नहीं होंगे। कोर्ट ने ये भी कहा कि बोर्ड का चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर जहां तक हो सके मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए। ये नियम वक्फ बोर्डों के गठन को प्रभावित करेंगे।

विवादित संपत्तियों का क्या होगा?  
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जब तक ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट विवादित वक्फ संपत्ति पर अंतिम फैसला नहीं दे देते तब तक न तो वक्फ को कब्जे से हटाया जाएगा और न ही रिकॉर्ड में बदलाव होगा। यानी संपत्ति का मालिकाना हक तय होने तक सब कुछ वैसा ही रहेगा। तीसरे पक्ष को भी कोई हक नहीं दिया जाएगा। ये आदेश विवादित संपत्तियों के मामले में स्थिरता लाएगा। कोर्ट ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाना दुर्लभ मामलों में ही सही होता है।

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