26/11 का वो दर्दनाक राज खुला, चिदंबरम ने बता दिया राज़ किसके कहने पर नहीं किया पाक पर हमला!
- Shubhangi Pandey
- 30 Sep 2025 03:27:58 PM
मुंबई के 26/11 हमलों को गुजरे 17 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी वो रात याद आते ही रूह कांप जाती है। हाल ही में कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में ऐसा खुलासा किया है जिसने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया। उन्होंने माना कि अमेरिका के दबाव में यूपीए सरकार ने पाकिस्तान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की। चिदंबरम ने कहा कि उनके दिमाग में बदला लेने का ख्याल जरूर आया लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव और विदेश मंत्रालय की सलाह ने सब रोक दिया। ये बातें उन्होंने एक इंटरव्यू में कही हैं। वहीं अब भाजपा ने इसे कमजोरी का सबूत बताते हुए तीखा हमला बोला है।
चिदंबरम का इंटरव्यू
चिदंबरम ने बताया कि हमलों के ठीक बाद पूरी दुनिया की निगाहें दिल्ली की ओर थीं। सब यही कह रहे थे कि युद्ध मत छेड़ो। उन्होंने खासतौर पर अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस का जिक्र किया। राइस हमलों के दो-तीन दिन बाद मुंबई पहुंचीं और चिदंबरम व तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलीं। राइस ने साफ कहा कृपया कोई जवाबी कार्रवाई मत करो। चिदंबरम ने जवाब दिया कि ये सरकार का फैसला होगा। उन्होंने ये भी माना कि उनके मन में बदले की कार्रवाई का विचार जरूर आया था। लेकिन बिना गोपनीयता भंग किए उन्होंने कहा कि सरकार ने सैन्य कदम न उठाने का निर्णय लिया। चिदंबरम ने ये भी खुलासा किया कि हमलों के दौरान ही प्रधानमंत्री और अन्य बड़े नेता इस पर चर्चा कर रहे थे। विदेश मंत्रालय और आईएफएस अधिकारियों की सलाह ने फैसला प्रभावित किया।
मुंबई 26/11 की वो खौफनाक रात
26 नवंबर 2008 की वो शाम मुंबई के लिए काला अध्याय बन गई। पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने शहर को निशाना बनाया। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर गोलीबारी हुई। ओबेरॉय ट्राइडेंट और ताजमहल पैलेस होटल के मंजर ने हर किसी को हिला कर रख दिया था । लियोपोल्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल और नरीमन हाउस भी निशाने पर आए। तीन दिनों तक चला ये नरसंहार 166 लोगों की जान ले गया। इनमें भारतीयों के साथ विदेशी भी शामिल थे। इस दौरान सुरक्षा बलों ने नौ आतंकियों को ढेर कर दिया। सिर्फ अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया जिसे 2012 में फांसी हो गई। हमलों के बाद तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने इस्तीफा दे दिया। चिदंबरम को वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय में शिफ्ट किया गया। चिदंबरम ने माना कि वो ये बदलाव पसंद नहीं कर रहे थे।
चिदंबरम को लगा झटका
चिदंबरम ने बताया कि प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन किया। कहा कि ये सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह का संयुक्त फैसला है। चिदंबरम ने कहा कि वो वित्त मंत्रालय नहीं छोड़ना चाहते थे। उन्होंने पांच बजट पेश किए थे और एक साल बाद चुनाव होने थे। लेकिन मजबूरी में गृह मंत्री बनना पड़ा। हमलों के बाद देश दुख में था और चिदंबरम को तुरंत जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री बनने के दिन ही हमले खत्म हुए थे। ये बदलाव उनके लिए चुनौती भरा था लेकिन उन्होंने ड्यूटी निभाई।
भाजपा का तंज
चिदंबरम का ये बयान भाजपा को चुभ गया। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि देश पहले से जानता था कि मुंबई हमले को विदेशी दबाव में गलत तरीके से हैंडल किया गया। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि चिदंबरम हमलों के बाद गृह मंत्री बनने को तैयार नहीं थे। वो पाक पर कार्रवाई चाहते थे लेकिन बाकी लोगों ने रोक दिया। भाजपा ने इसे यूपीए की कमजोरी का सबूत बताया। उन्होंने इसकी तुलना एनडीए सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक से की। 2016 में उरी हमले के बाद स्ट्राइक हुई। 2019 में पुलवामा पर बालाकोट एयर स्ट्राइक हुई। हाल ही में 2025 के पहलगाम हमले पर ऑपरेशन सिंदूर हुआ।
भाजपा कहती है कि मोदी सरकार ने कभी दबाव नहीं माना। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस के पापों की सजा भारत को भुगतनी पड़ी। कई जिंदगियां गईं। अब वक्त बदल गया है। भारत अब किसी आतंकी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा।
26/11 से सबक
चिदंबरम का खुलासा पुरानी यादें ताजा कर गया। ये दिखाता है कि उस वक्त भारत पर कितना दबाव था। लेकिन आज हालात अलग हैं। एनडीए सरकार ने दिखा दिया कि आतंक के खिलाफ कड़ा रुख जरूरी है। चिदंबरम ने माना कि बदला लेने का विचार आया लेकिन फैसला संयम का लिया गया। भाजपा इसे कमजोरी मानती है। राजनीति में ये बहस जारी रहेगी। लेकिन असली सवाल वही है कि क्या भारत कभी फिर ऐसे दबाव में झुकेगा।
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