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राष्ट्रपति Murmu ने किया रावण दहन, हाथों में धनुष बाण लिए दिखीं, बारिश के बीच दशहरे का उत्सव

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दिल्ली-एनसीआर में दशहरा का रंग इस बार कुछ अलग ही नजर आया है। रावण दहन से पहले गुरुवार शाम हल्की बारिश ने आयोजन स्थल को भिगो दिया। रामलीला मैदानों में लगे विशालकाय पुतले भी भीग गए लेकिन लोगों का जोश जरा भी कम नहीं हुआ। शाम ढलते ही दशहरा की भव्यता हर मैदान में दिखने लगी। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में इंद्रप्रस्थ रामलीला समिति के आयोजन में शामिल नहीं हो पाए। यहां 72 फीट ऊंचे रावण का दहन होना था। बारिश की वजह से उनका कार्यक्रम टाला गया है। दरअसल पीएम मोदी हर साल दशहरा के मौके पर रावण दहन में हिस्सा लेते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं। इस पर्व से प्रधानमंत्री का खास जुड़ाव भी है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने किया रावण दहन 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही नहीं पहुंचे, लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लालकिला मैदान में लवकुश रामलीला समिति द्वारा आयोजित समारोह में शामिल होकर रावण दहन किया। उन्होंने पारंपरिक तरीके से धनुष पर तीर चढ़ाकर रावण के पुतले को अग्नि में भस्म किया। वहां मौजूद भीड़ ने तालियों और जयघोष से पूरे माहौल को गूंजा दिया।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
पूर्वी दिल्ली के डीसीपी अभिषेक धनिया ने बताया कि दशहरा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। आयोजन के दौरान लगभग 2500 पुलिसकर्मी तैनात रहे। आयोजन स्थलों और मार्गों का सुरक्षा ऑडिट पहले ही पूरा कर लिया गया था। भीड़ प्रबंधन से लेकर आपातकालीन इंतजामों तक सब कुछ पुख्ता रखा गया ताकि किसी तरह की अफरातफरी न हो। दिल्ली में इस बार कुल 25 जगहों पर रामलीला समितियों ने दशहरा मेले का आयोजन किया।

पीएम मोदी का दशहरे से जुड़ाव
पिछले साल पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मुर्मू के साथ लालकिला मैदान में लवकुश रामलीला के मंच पर रावण दहन किया था। वहां उन्होंने रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतलों पर तीर चलाकर अच्छाई की जीत का संदेश दिया था। उनका कहना था कि दशहरा साहस, शांति और सत्य की विजय का प्रतीक है।

दिल्ली में दशहरे की रौनक
राजधानी में दशहरा हमेशा खास होता है। इस मौके पर हजारों लोग रामलीला मैदानों में जुटते हैं और रावण दहन का नजारा देखते हैं। इस बार भी इंद्रप्रस्थ और लवकुश रामलीला समिति के पुतले लोगों के आकर्षण का केंद्र बने। बारिश से थोड़ी मुश्किल जरूर हुई लेकिन आयोजकों ने पुतलों को सुरक्षित रखने की पूरी तैयारी कर रखी थी।

अच्छाई की जीत का प्रतीक
लोगों की भारी भीड़ और उत्साह ने साफ कर दिया कि मौसम का असर भले ही पड़ा हो, लेकिन त्योहार की चमक फीकी नहीं हुई। रावण दहन हर साल ये संदेश देता है कि बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, उसका अंत तय है। अहंकार और अन्याय पर अच्छाई की जीत हमेशा होती है। इस बार राष्ट्रपति मुर्मू की मौजूदगी ने आयोजन को और भी खास बना दिया।

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