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भारत‑रूस के बीच कैसा है व्यापारिक संबंध? दोनों देशों के बीच किन चीजों की होती है डील? जानिए

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में  एक बयान में कहा कि भारत‑रूस के बीच व्यापार तेजी से बढ़ा है लेकिन संतुलन नहीं बन पाया है। उनका कहना है कि भारत रूस से बहुत सारा कच्चा तेल आयात करता है जबकि रूस से आयात को संतुलित करने के लिए भारत से कृषि उत्पादों और दवाइयों की खरीद बढ़ाना चाहिए। पुतिन ने खास तौर से कहा है कि फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर और एग्रीकल्चर में भारत की ताकत बड़ी है और रूस इन सेक्टरों में भारतीय माल लेने पर विचार कर रहा है।

अमेरिका‑भारत में तकरार 
यह बयान ऐसे वक्त आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर बड़ा टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। उनका कहना था कि ये ट्रैड पॉलिसी भारत के बाजार को प्रभावित करेगी। लेकिन अब अगर भारत रूस को अपने कृषि और दवा उत्पादों की सप्लाई बढ़ाएगा तो ट्रम्प का यह दावो का असर कमजोर होगा। दोनों देशों की दोस्ती और पारंपरिक व्यापार रिश्ते इस नई पहल से और मजबूत हो सकते हैं।

व्यापार की लम्बी कहानी
वित्त वर्ष 2024‑25 में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग US$ 68.7 अरब हुआ। भारत ने रूस को लगभग US$ 4.88 अरब का माल भेजा जबकि रूस से आयात US$ 63.84 अरब रहा। यही असंतुलन पुतिन की सबसे बड़ी चिंता है। वहीं दूसरी ओर भारत की ओर से रूस को निर्यात का बड़ा हिस्सा मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, ऑर्गेनिक केमिकल्स और स्टील के उत्पादों का है। 

भारत से रूस को कौन‑से उत्पाद जाते हैं ?
भारत 2024 में रूस को जिन प्रमुख उत्पादों का निर्यात करता है, उनमें सबसे आगे फार्मास्यूटिकल उत्पाद हैं, जिनका निर्यात करीब US$ 413.48 मिलियन रहा। इसके अलावा मशीनरी, बॉयलर, यांत्रिक उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात भी मजबूत है। भारत रूस को ऑर्गेनिक केमिकल्स, रबर से बने उत्पाद, मछली और अन्य जलीय जीव, चाय, कॉफी, अनाज, तेल बीज और सब्जियों जैसे कृषि उत्पाद भी बड़ी मात्रा में भेजता है।

रूस से भारत को क्या मिलता है ?
भारत रूस से जिन प्रमुख चीज़ों का आयात करता है उनमें कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं। इसके अलावा उर्वरक भी आयात का एक अहम हिस्सा हैं। भारत रूस से वनस्पति तेल, पशु‑वसा उत्पाद, कीमती धातुएँ, रत्न, लकड़ी, पेपर उत्पाद, मशीनरी और अन्य औद्योगिक उपकरण भी बड़ी मात्रा में मंगाता है।

क्या हो सकते हैं अगले कदम?
पुतिन ने संकेत दिए हैं कि रूस भारत से कृषि व फार्मा उत्पादों की खरीद बढ़ाना चाहेगा ताकि निर्यात‑आयात में संतुलन हो सके। इसका मतलब है कि भारत को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी, गुणवत्ता सुधारनी होगी और निर्यात के लिये प्रमाण पत्र या लाइसेंसिंग में आसानी होनी चाहिए। दोनों देशों ने पहले से ही ऐसी पहल पर विचार करना शुरू किया है। भारत के विदेश मंत्री स. जयशंकर ने भी इसी तरह की अपील की कि कृषि‑फार्मा क्षेत्र में व्यापार को बढ़ाया जाए। 

क्या बदल सकता है?
अगर ये कदम सही तरह से आगे बढ़ेंगे तो भारत‑रूस के व्यापार में संतुलन आ सकता है। भारत को अवसर मिलेगा कि वो सिर्फ तेल आयात नहीं बल्कि वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स, दवाइयों, कृषि संबंधित माल के क्षेत्र में निर्यात बढ़ाकर अपना लाभ बढ़ा सकते हैं। रूस को भी फायदा होगा कि उसे विविध स्रोत से माल मिलेगा। इस तरह दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बन सकता है।

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