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चांदी के चमकते खजाने: Silver World के बादशाह कौन, दुनिया के Top 5 देशों में भारत क्यों पीछे?

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चांदी सिर्फ चमकदार आभूषणों तक सीमित नहीं। ये सोलर पैनल से लेकर मोबाइल फोन तक हर चीज में इस्तेमाल होती है। वैश्विक बाजार में चांदी के भंडार देशों की ताकत तय करते हैं। कुल मिलाकर दुनिया में करीब 5,50,000 मीट्रिक टन चांदी के भंडार हैं। लेकिन टॉप 5 देशों के पास ही इसका बड़ा हिस्सा जमा है। भारत जैसे बड़े देश यहां लिस्ट में नहीं दिखते। आइए, इन चमकते खजानों की कहानी जानें, जो अर्थव्यवस्था को चमकाते हैं।

एंडीज की पहाड़ियों में छिपा चांदी का समंदर
दक्षिण अमेरिका का पेरू चांदी के भंडार का बादशाह है। यहां 1,40,000 मीट्रिक टन चांदी दबी हुई है, जो दुनिया के कुल भंडार का चौथाई से ज्यादा है। हुआरी प्रांत की एंटामिना खदान इसकी जान है। बीएचपी, ग्लेंकोर और टेक रिसोर्सेज जैसे दिग्गजों का जॉइंट वेंचर ये खदान चलाता है। 2025 में यहां 2 अरब डॉलर का निवेश हो रहा है, ताकि खदान 2036 तक चलती रहे। पेरू न सिर्फ खोदता है, बल्कि निर्यात से अपनी इकोनॉमी को मजबूत रखता है। पर्यावरण की मंजूरी मिलते ही कंस्ट्रक्शन शुरू हो गया। ये देश चांदी के जरिए वैश्विक सप्लाई चेन को कंट्रोल करता है।

साइबेरिया की ठंड में गर्म खजाना
रूस के पास 92,000 मीट्रिक टन चांदी है, जो उसे दूसरे नंबर पर बिठाता है। यूक्रेन संकट और पश्चिमी सैंक्शंस के बावजूद रूस खनन में पीछे नहीं हटा। फार ईस्ट का प्रोग्नोज माइन अब हॉटस्पॉट है। ये ओपन-पिट माइन सालाना 5 से 7 मिलियन औंस चांदी देगा। पॉलीमेटल इंटरनेशनल से लिया गया ये प्रोजेक्ट रूस की माइनिंग इंडस्ट्री को नई ऊंचाई दे रहा है। विस्तृत इलाकों में अनएक्सप्लोर्ड रिसोर्सेज हैं, जो भविष्य में और चांदी उगलेंगे। रूस चांदी को अपनी इकोनॉमी का हथियार बनाए हुए है।

हेनान की खदानें चमक रहीं
चीन में 70,000 मीट्रिक टन चांदी के भंडार हैं, जो इसे तीसरे स्थान पर रखते हैं। हेनान प्रोविंस की यिंग माइन यहां की स्टार है। ये देश का सबसे बड़ा प्राइमरी सिल्वर प्रोड्यूसर है, जो कुल आउटपुट का छठा हिस्सा देता है। हाल के सालों में चीन ने रेयर मिनरल्स में दबदबा बनाया है। सोलर और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री के लिए चांदी की डिमांड बढ़ी तो चीन ने खनन को तेज किया। रूस ने दूसरा स्पॉट छीना, लेकिन चीन अभी भी ग्लोबल मार्केट को प्रभावित करता है।

पोलैंड यूरोप का सिल्वर हब
पोलैंड के 61,000 मीट्रिक टन चांदी के भंडार इसे चौथे नंबर पर लाते हैं। KGHM पोल्स्का मेद्ज ये यूरोपियन सिल्वर का केंद्र है। सरकारी कंट्रोल वाली ये कंपनी 2024 में दुनिया की सबसे बड़ी सिल्वर प्रोड्यूसर बनी। ग्लोगोव कॉपर स्मेल्टर में ज्यादातर प्रोडक्शन रिफाइन होता है। कॉपर माइन्स से निकलने वाली चांदी पोलैंड को इंटरनेशनल स्टेज पर चमकाती है। 2025 वर्ल्ड सिल्वर सर्वे में KGHM को दूसरा सबसे बड़ा प्रोड्यूसर कहा गया। छोटा देश होने के बावजूद पोलैंड का सिल्वर सेक्टर मजबूत है।

लैटिन अमेरिका की ‘चांदी वाली राजधानी’
मेक्सिको के 37,000 मीट्रिक 1 टन भंडार इसे पांचवें पायदान पर रखते हैं। जकाटेकास की न्यूमॉन्ट पेनास्किटो माइन यहां की दूसरी सबसे बड़ी है, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सिल्वर माइन है। मेक्सिको हमेशा से टॉप प्रोड्यूसर रहा। 2025 में एंडेवर सिल्वर ने मिनेरा कोल्पा को 145 मिलियन डॉलर में खरीदा, जो ह्वाचोकोल्पा यूनो माइन को कंट्रोल करता है। ये माइन 2024 में 2 मिलियन औंस चांदी दे चुकी। मेक्सिको चांदी से ज्वेलरी और इंडस्ट्री दोनों को सपोर्ट करता है।भारत का सिल्वर स्टॉक: 8,000 टन के साथ 11वां नंबर, लेकिन डिमांड किंगभारत टॉप 5 से बाहर है। यहां सिर्फ 8,000 मीट्रिक टन चांदी के भंडार हैं, जो दुनिया में 11वें स्थान पर है। लेकिन खपत के मामले में भारत नंबर वन है। ज्वेलरी और इंडस्ट्री में चांदी की भारी डिमांड है। राजस्थान और गुजरात की माइन्स से थोड़ी चांदी निकलती है, लेकिन ज्यादातर इंपोर्ट होती है। ऑस्ट्रेलिया (94,000 टन), चिली (26,000 टन) और अमेरिका (23,000 टन) जैसे देश टॉप 5 के बाद आते हैं। भारत को भंडार बढ़ाने के लिए नए एक्सप्लोरेशन की जरूरत है।

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