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रिहा होंगे Sonam Wangchuk! आज Supreme Court सुनाएगी फैसला, पत्नी ने राष्ट्रपति को लिखा भावुक पत्र

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लद्दाख की हसीन वादियों में हाल ही में जो कुछ हुआ, वो किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे। 24 सितंबर को लेह में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया। लोग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे। लेकिन भीड़ बेकाबू हो गई । इमारतें जलीं, वाहनों में आग लगी, पुलिस पर हमले हुए। चार निर्दोषों की जान चली गई, करीब 90 लोग घायल हो गए। सिक्योरिटी फोर्सेस ने गोलीबारी की, जिससे हालात बिगड़ गए। स्थानीय लोग न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने सिर्फ मजिस्ट्रेट जांच का ऐलान किया। ये घटना 2019 में यूनियन टेरिटरी बनने के बाद की सबसे बड़ी हिंसा थी। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर उंगली उठीं, जिन्हें हिंसा भड़काने का दोषी ठहराया गया।

हीरो बने वांगचुक पहुंचे जेल!
सोनम वांगचुक कोई साधारण नाम नहीं है। '3 इडियट्स' फिल्म में आमिर खान के रनछोड़ दास चांचड़ का किरदार इन्हीं पर आधारित था। लद्दाख के ये पर्यावरण योद्धा आइस स्टूपा प्रोजेक्ट से ग्लेशियर बचाने को मशहूर हैं। लेकिन राज्य की लड़ाई में वो भूख हड़ताल पर उतर आए। सरकार ने बातचीत की पेशकश की, लेकिन वांगचुक नहीं माने। दो दिनों बाद, 26 सितंबर को पुलिस ने इन्हें NSA यानी नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया। उनपर हिंसा भड़काने का आरोप है। लेह में रखना खतरनाक माना गया, तो सीधे राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया। NSA के तहत बिना ट्रायल के 12 महीने तक हिरासत संभव है। वांगचुक के समर्थक इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं। एपेक्स बॉडी लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने बातचीत बंद कर दी।

पत्नी का छलका दर्द
सबसे ज्यादा दर्द तो वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो को हो रहा है। डॉक्टर से एक्टिविस्ट बनीं गीतांजलि ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की। याचिका में साफ कहा गया कि सोनम को बिना वैधानिक प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया। गैरकानूनी कस्टडी का आरोप लगाते हुए तुरंत रिहाई की मांग की। गीतांजलि ने बताया कि एक हफ्ते से ज्यादा हो गया, लेकिन पति की सेहत, लोकेशन या गिरफ्तारी के ग्राउंड्स की कोई जानकारी नहीं। न पुलिस, न लोकल अथॉरिटी कुछ बता रही। इससे पहले, 1 अक्टूबर को उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को तीन पेज का भावुक पत्र लिखा। इसमें कहा, "मेरे पति पिछले 4 साल से लोगों के हित में लड़ रहे हैं। उन्हें बदनाम किया जा रहा। वो कभी किसी के लिए खतरा नहीं।" गीतांजलि ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) के स्टाफ पर भी उत्पीड़न का आरोप लगाया। 

6 अक्टूबर को सुनवाई
अब सारी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। 6 अक्टूबर को जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच याचिका पर सुनवाई करेगी। वकील विवेक तंखा और सर्वम रितम खरे ने इसे दाखिल किया। कोर्ट से मांग है कि सोनम को तुरंत पेश किया जाए, ताकि उनकी सेफ्टी और राइट्स प्रोटेक्ट हों। दशहरा वेकेशन के बाद ये पहली बड़ी सुनवाई होगी। लद्दाख एडमिनिस्ट्रेशन ने वांगचुक पर पाकिस्तान इंटेलिजेंस से कनेक्शन का आरोप लगाया, लेकिन गीतांजलि ने इसे झूठा बताया। केंद्र सरकार ने कहा कि वो हमेशा डायलॉग के लिए ओपन है। लेकिन समर्थक इसे 'विच हंट' बता रहे।

लद्दाख की लड़ाई जारी
वांगचुक की गिरफ्तारी ने लद्दाख आंदोलन को नई आग दी। 2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद UT स्टेटस मिला, लेकिन लोग राज्य के लिए कई मांगों के साथ ट्राइबल सेफगार्ड्स चाहते हैं। वांगचुक ने नेपाल आंदोलन और अरब स्प्रिंग का हवाला देकर लोगों को जगाया, जो अथॉरिटी को नागवार गुजरा। अब सवाल ये कि सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अपनाएगा? अगर रिहाई हुई, तो आंदोलन को बूस्ट मिलेगा। वरना, लद्दाख की आवाज दब जाएगी। गीतांजलि का संघर्ष हर उस महिला की याद दिलाता है जो सिस्टम से लोहा लेती है। ये केस न सिर्फ पर्सनल जस्टिस का, बल्कि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का भी है।

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