जयशंकर का बड़ा बयान, 'टैरिफ की उठापटक' से हिल रहा वैश्विक व्यापार, चीन की ओर इशारा साफ
- Shubhangi Pandey
- 07 Oct 2025 02:52:29 PM
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक कार्यक्रम में साफ कहा कि दुनिया में 'टैरिफ अस्थिरता' यानी व्यापारिक शुल्कों में अचानक बदलाव ने वैश्विक व्यापार की पूरी गणना ही पलट दी है। उन्होंने कहा कि अब देश अपनी आर्थिक निर्भरता, आपूर्ति श्रृंखलाओं और वैश्विक साझेदारियों को नए सिरे से सोचने लगे हैं। जयशंकर की ये टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब अमेरिका समेत कई बड़े देश टैरिफ और व्यापार नीतियों को लेकर आक्रामक रवैया अपना रहे हैं। इससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ रही है और कई देशों को आर्थिक रणनीति दोबारा तय करनी पड़ रही है।
‘वैश्विक विनिर्माण का एक-तिहाई एक ही जगह पर’
जयशंकर ने बताया कि आज दुनिया की लगभग एक-तिहाई मैन्युफैक्चरिंग सिर्फ एक क्षेत्र में केंद्रित हो चुकी है। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफ तौर पर चीन की ओर था। उन्होंने कहा कि ये एकतरफा केंद्रीकरण अब पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है। उन्होंने कहा, "अब सोचिए कि क्या ये समान रूप से बंटा हुआ विकास है? इसका असर आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ रहा है और देश अब इसे लेकर ज्यादा सतर्क हो गए हैं।"
'टैरिफ की अस्थिरता' बदल रही है व्यापार का गणित
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, जब अचानक टैरिफ डबल कर देती हैं तो इसका असर सिर्फ एक देश पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया की व्यापारिक नीतियों पर पड़ता है। उन्होंने कहा, "कई देशों में वैश्वीकरण के खिलाफ भावनाएं बढ़ रही हैं। टैरिफ की उठापटक से अब व्यापारिक रणनीतियां उलट-पलट हो रही हैं।"
भारत-अमेरिका व्यापार में आई तल्खी
जयशंकर की ये बातें ऐसे समय पर आई हैं जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते थोड़ा खिंचते नजर आ रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय सामानों पर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया और रूसी तेल के आयात पर 25% का अतिरिक्त शुल्क भी लगा दिया। इस फैसले से भारत को झटका लगा है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संवाद में एक नया तनाव आ गया है।
ऊर्जा और तकनीक पर भी टकराव
जयशंकर ने कहा कि अब ऊर्जा और तकनीक जैसे सेक्टरों में भी नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने बताया कि आज अमेरिका एक बड़ा फॉसिल फ्यूल एक्सपोर्टर बन चुका है और चीन रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी में आगे निकल रहा है। डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच नीतिगत टकराव है, जिससे वैश्विक स्तर पर डिजिटल व्यापार और तकनीकी सहयोग प्रभावित हो रहे हैं।
आर्थिक लचीलापन ही भविष्य की कुंजी
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि अब वक्त आ गया है जब देश आर्थिक लचीलापन (economic resilience) बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता, स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा और विश्वसनीय साझेदारियों की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा है।
भारत के लिए ये समय रणनीति दोबारा गढ़ने का
जयशंकर की इस चेतावनी को सिर्फ वैश्विक हालातों के विश्लेषण के रूप में नहीं, बल्कि भारत की आगामी आर्थिक और कूटनीतिक रणनीति की दिशा के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है। उनका ये बयान साफ करता है कि भारत अब सिर्फ रिएक्शन में नहीं, बल्कि ग्लोबल पावर गेम में एक रणनीतिक खिलाड़ी के तौर पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है। बता दें कि टैरिफ की ये उठापटक सिर्फ आंकड़ों की जंग नहीं, बल्कि आने वाले समय में देशों की आर्थिक स्वतंत्रता और रणनीतिक पकड़ तय करने वाली चुनौती है और भारत इसे पहचान चुका है।
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