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Bihar चुनाव से पहले Modi का मास्टरस्ट्रोक! दलित-बौद्ध CJI Gavai के समर्थन में उतरे में उतरे PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर कोर्ट में हुए जूता फेंकने की घटना को गंभीरता से लिया है। उन्होंने इसे सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि एक संस्था और लोकतंत्र की गरिमा पर हमला बताया। पीएम ने गवई को फोन कर सीधे हालचाल लिया और बाद में सोशल मीडिया पर उनके धैर्य की जमकर तारीफ की।

पीएम मोदी का दोहरा संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रतिक्रिया के जरिए दो अहम संदेश दिए हैं। पहला, सरकार किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की गरिमा से समझौता नहीं करेगी। दूसरा, CJI गवई की दलित और बौद्ध पहचान को लेकर भी वो पूरी संवेदनशीलता से खड़े हैं। ये साफ संकेत है कि सरकार ना सिर्फ पद की बल्कि व्यक्ति की सामाजिक पृष्ठभूमि की भी रक्षा करने को तैयार है।

बिहार चुनाव से पहले क्यों अहम है ये स्टैंड?
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और एससी-एसटी वोटर्स की हिस्सेदारी काफी अहम मानी जाती है। हाल ही में जारी हुए जातिगत सर्वेक्षण के मुताबिक, राज्य की करीब 19.65% आबादी अनुसूचित जाति समुदाय से आती है। ये आंकड़ा 2011 की जनगणना के मुकाबले बढ़ा है। इसके अलावा, राज्य में 1.1 लाख से ज्यादा बौद्ध धर्म मानने वाले लोग भी हैं, जो कुछ ज़िलों में असरदार भूमिका निभा सकते हैं।

गवई की पहचान क्यों मायने रखती है?
न्यायमूर्ति बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के ऐसे पहले मुख्य न्यायाधीश बने हैं जो दलित और बौद्ध दोनों समुदाय से आते हैं। उनके पिता आरएस गवई अम्बेडकरवादी नेता रहे हैं और 1956 में डॉ. बीआर अंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। गवई की ये सामाजिक पृष्ठभूमि बिहार जैसे राज्य में राजनीतिक मायने रखती है, जहां अम्बेडकरवादी विचारधारा की गहरी पकड़ है।

विपक्ष मुद्दा बनाता उससे पहले सरकार ने संभाला 
कांग्रेस और विपक्षी दल इस हमले को सरकार की दलित विरोधी छवि से जोड़ सकते थे। लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री की तीखी प्रतिक्रिया ने माहौल को बदल दिया। इससे यह संदेश गया कि भाजपा संवैधानिक पदों पर बैठे दलित प्रतिनिधियों को लेकर गंभीर है और उनकी गरिमा की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है।

भाजपा प्रवक्ता ने भी दोहराया पीएम का रुख
भाजपा ने अपने वरिष्ठ प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को सामने लाकर साफ किया कि पार्टी पूरी तरह से प्रधानमंत्री के साथ है। त्रिवेदी ने कहा, "हर भारतीय इस घटना से आहत है। प्रधानमंत्री की तरह ही हम भी मानते हैं कि संवैधानिक पदों की गरिमा बचाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। गवई ने जो धैर्य दिखाया, वो प्रशंसनीय है और देश की न्याय व्यवस्था में उनके अटूट विश्वास को दर्शाता है।"

चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है असर
बक्सर, कैमूर, रोहतास और गया जैसे ज़िलों में दलित और बौद्ध आबादी प्रभावी है। भाजपा की कोशिश है कि ऐसे समुदायों का विश्वास मजबूत बना रहे। गवई पर हुए हमले पर त्वरित प्रतिक्रिया देकर पार्टी ने न सिर्फ संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की है, बल्कि दलित और बौद्ध मतदाताओं के बीच भी एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की है।

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