Nithari हत्याकांड में न्याय की उम्मीद टूटीं! SC ने Surendra Koli को दिया बरी करने का संकेत, पीड़ित परिवारों में गहरा शोक
- Ankit Rawat
- 08 Oct 2025 10:00:39 PM
नोएडा के निठारी गांव में एक बार फिर मायूसी का माहौल है। बच्चों की नृशंस हत्याओं ने पूरे देश को झकझोर दिया था और अब लगभग दो दशक बाद भी पीड़ित परिवारों का न्याय पर भरोसा डगमगा गया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि सुरेंद्र कोली को बरी किया जा सकता है, जिससे परिवारों में निराशा और गहरी हो गई। एक 63 साल के पिता ने कहा, "निठारी हत्याकांड में हमारी सारी उम्मीदें टूट चुकी हैं। अगर कोली और पंढेर दोषी नहीं हैं, तो हमारे बच्चों को किसने मारा?" उनकी 10 साल की बेटी के अवशेष 2006 में डी-5 बंगले से बरामद हुए थे।
पीड़ित माता-पिता की व्यथा
उनकी पत्नी ने भी दर्द जताया, "अक्टूबर 2023 में पंढेर के बरी होने के बाद मुझे अंदाजा था कि मामला खत्म हो जाएगा। डी-5 बंगले के पास से गुजरते समय मेरी बेटी की छवि मेरे जहन में ताजा हो जाती है।" ये दंपत्ति अभी भी निठारी में रहते हैं, जबकि अन्य प्रभावित परिवार पहले ही इलाके से जा चुके हैं। एक और पिता जिनके साढ़े पांच साल के बेटे की हत्या हुई थी उसने कहा, "अगर कोली और पंढेर जिम्मेदार नहीं हैं, तो कौन है? हमें कोई जवाब क्यों नहीं देता?" उनकी आवाज़ धीरे-धीरे बंद हो गई।
सुप्रीम कोर्ट का संकेत
सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल उठाया कि अगर कोली को अन्य मामलों में बरी किया जा चुका है तो उसे इस अंतिम मामले में दोषी ठहराना न्याय का उपहास नहीं होगा। ये टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के 16 अक्टूबर, 2023 के फैसले की प्रतिध्वनि थी, जिसमें कोली और पंढेर को सभी हत्याकांडों में बरी किया गया था। कोली और पंढेर पर कुल 19 मामलों के आरोप थे। दिसंबर 2006 में डी-5 बंगले से बरामद कंकाल और हड्डियां भारत की सबसे खौफनाक सिलसिलेवार हत्याओं में से एक का खुलासा थीं।
सुरेंद्र कोली का मामला
कोली को इकबालिया बयान के आधार पर आरोपित किया गया था। 1 मार्च, 2007 को उसने दिल्ली के मजिस्ट्रेट के सामने 164 CrPC के तहत बयान दर्ज कराया। शुरुआत में उसके पास वकील थे, लेकिन बाद में उसने खुद अपना केस लड़ना शुरू किया। पिछले सालों में दर्ज 13 मामलों में से 12 में उसे बरी किया जा चुका है।
परिवारों की निराशा और न्याय का सवाल
63 साल के पिता डी-5 बंगले के खंडहर की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, "हमें कानून की समझ नहीं है। हम सिर्फ इतना जानते हैं कि हमारे बच्चों की हत्या हुई और उनकी हड्डियां वहीं मिलीं। अगर कोई दोषी नहीं है, तो ये कैसा न्याय है?" परिवारों का कहना है कि लंबी कानूनी लड़ाई ने उनके विश्वास को खत्म कर दिया। निठारी में बच्चों की यादें और उस घर की खंडहरें अब सिर्फ पीड़ा और शोक की निशानी बन गई हैं।
न्याय की लंबी राह
सुप्रीम कोर्ट के संकेत ने उम्मीदों के बीच निराशा पैदा कर दी है। अब परिवारों की नजरें अदालत के अंतिम फैसले पर टिकी हैं। वो चाहते हैं कि सच्चाई सामने आए और बच्चों को न्याय मिले, लेकिन दो दशक बाद भी उनके लिए न्याय की राह मुश्किल और धुंधली दिख रही है। बता दें कि निठारी हत्याकांड की दर्दनाक कहानी आज भी पीड़ित परिवारों के दिलों में ताजा है। सुप्रीम कोर्ट का संकेत उनकी उम्मीदों और विश्वास के लिए नई चुनौती बन गया है।
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