CJI पर जूता फेंकने की कोशिश के बाद बवाल, पूर्व जज बोले– ‘कोर्ट में जज कम बोलें तो बेहतर’
- Shubhangi Pandey
- 09 Oct 2025 01:58:50 PM
सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक घटना देखने को मिली जब वरिष्ठ वकील राकेश किशोर ने अदालत की कार्यवाही के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। इस घटना ने न्यायपालिका से जुड़े लोगों और आम जनता को झकझोर दिया है। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया सामने आई है।
क्या हुआ कोर्ट में?
71 साल के वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान अचानक अपने स्पोर्ट्स शूज़ उतारकर मुख्य न्यायाधीश की ओर फेंकने की कोशिश की। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत स्थिति को काबू में किया। किशोर ने हिंदू धर्म के अपमान का आरोप लगाते हुए ये कदम उठाया। पुलिस को उसके पास से एक नोट भी मिला जिस पर लिखा था “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”
घटना के बावजूद CJI गवई ने पूरी कार्यवाही शांतिपूर्वक जारी रखी और सुरक्षाकर्मियों को राकेश किशोर को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ देने के निर्देश दिए। बाद में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उसे तुरंत प्रैक्टिस से सस्पेंड कर दिया।
पीएम मोदी ने CJI की सराहना की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को पूरी तरह निंदनीय बताया और कहा कि ऐसे कृत्यों के लिए समाज में कोई जगह नहीं है। उन्होंने CJI गवई को फोन कर बात की और इस मुश्किल घड़ी में संयम बनाए रखने के लिए उनकी सराहना भी की। पीएम ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि इस घटना से हर भारतीय दुखी है और हम सभी न्यायपालिका के साथ खड़े हैं।
काटजू बोले – जजों को ज़्यादा नहीं बोलना चाहिए
पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने इस हमले की निंदा करते हुए लिखा कि न्यायमूर्ति गवई पर जूता फेंकना शर्मनाक है, लेकिन जजों को अदालत में बहुत ज़्यादा नहीं बोलना चाहिए क्योंकि ये भड़काऊ हो सकता है। उन्होंने इंग्लैंड के लॉर्ड चांसलर सर फ्रांसिस बेकन का जिक्र करते हुए लिखा, “जो जज बहुत बोलता है, वो बेसुरा बाजा होता है।” काटजू ने कहा कि अदालतें शांति, संयम और स्थिरता की जगह होनी चाहिए। ब्रिटिश कोर्ट का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वहां जज ज़्यादातर वक्त चुप रहते हैं और सिर्फ ज़रूरत पड़ने पर सवाल पूछते हैं।
विवाद की जड़ में क्या है?
पूरा मामला खजुराहो के प्रसिद्ध जावरी मंदिर की भगवान विष्णु की एक क्षतिग्रस्त मूर्ति से जुड़ा है। वकील राकेश किशोर ने मूर्ति की पुनर्स्थापना के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे CJI गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने खारिज कर दिया।
बेंच ने टिप्पणी की थी, “अगर आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं, तो जाकर उनसे प्रार्थना कीजिए, मूर्ति का सिर भी वही वापस ला सकते हैं।” इस टिप्पणी को लेकर किशोर आहत थे और उन्होंने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया?
CJI गवई ने घटना को पूरी तरह नजरअंदाज किया और न तो कार्यवाही रोकी, न ही कोई बड़ा हंगामा होने दिया। अदालत में मौजूद स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों को उन्होंने शांति बनाए रखने को कहा। हालांकि, इस गंभीर घटना के बाद BCI ने तुरंत ऐक्शन लिया और राकेश किशोर को प्रैक्टिस से सस्पेंड कर दिया। अब इस पूरे मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
बता दें कि इस घटना ने न्यायपालिका की गरिमा और कोर्ट रूम की मर्यादा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। जजों की टिप्पणियों की मर्यादा हो या वकीलों का आचरण—दोनों पर आत्ममंथन ज़रूरी है। जस्टिस काटजू की सलाह और पीएम मोदी का कड़ा संदेश इस दिशा में अहम माने जा रहे हैं।
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