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H1-B Visa: 88 लाख की फॉर्म फीस, भारतीय युवा हो सकते हैं पीछे, क्या बदलेगा Visa का खेल?

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संयुक्त राज्य अमेरिका ने H-1B वीज़ा कार्यक्रम में बड़े बदलाव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने ‘H-1B वीज़ा गैर‑आप्रवासी कार्यक्रम में सुधार’ नाम से एक मसौदा प्रस्ताव जारी किया है, जिसमें पात्रता मानदंड, निगरानी तंत्र और शुल्क संरचना में मूलभूत परिवर्तन किये जाने की बात कही गई है।

सबसे चौंकाने वाली पेशकश है कि नए H‑1B आवेदन पर $1,00,000 (लगभग ₹88 लाख) की फीस लगाई जाएगी। साथ ही लॉटरी आधारित चयन पद्धति को बदलकर वेतन आधारित चयन प्रक्रिया लागू करने की योजना है। यानी जिन आवेदकों को अधिक वेतन मिलेगा, उन्हें अधिक प्राथमिकता दी जाएगी। USCIS की एक जानकारी के अनुसार ये शुल्क सिर्फ नए आवेदन पर लागू होगा । पहले से स्वीकृत वीज़ा, नवीनीकरण (renewal), या पहले से चल रहे H‑1B धारकों पर इसका प्रभाव नहीं होगा। 

वेतन आधारित चयन 
लॉटरी पद्धति को छोड़कर DHS अब एक वेतन आधारित वर्गीकरण प्रस्तावित कर रहा है। इसमें H‑1B आवेदनों को चार श्रेणियों (Level I से Level IV) में बांटा जाएगा, और जिन आवेदकों का वेतन उच्च होगा, उन्हें चयन के लिए अधिक प्रवेश अंक (entries) मिलेंगे। उदाहरण के तौर पर Level IV वेतन प्राप्त आवेदक को 4 प्रवेश अंक मिल सकते हैं, जबकि Level I को सिर्फ 1 प्रवेश अंक मिलेगा। इस प्रणाली से नए और कम अनुभव वाले भारतीय पेशेवरों पर खास दबाव पड़ेगा। शुरुआत में कम वेतन पर काम करने वाले आईटी युवा चयन प्रक्रिया में पिछड़ सकते हैं। 

भारतीय आईटी उद्योग पर उल्टा असर?
भारतीय आईटी कंपनियों को इस प्रस्ताव से दोहरे संकट का सामना करना पड़ सकता है। एक तरफ, नए $1,00,000 शुल्क से वीज़ा आवेदन करने की लागत बहुत अधिक हो जाएगी। दूसरी ओर वेतन आधारित चयन उन्हें उन लोगों पर अधिक खर्च करने को मजबूर कर सकती है जिनके वेतन पहले से बेहतर हों। इस तरह पारंपरिक “ऑफ़शोर + ऑनसाइट” मॉडल पर निर्भर कंपनियों को रणनीति बदलनी पड़ सकती है। एक पूर्व इंफोसिस CFO ने कहा है कि इस तरह की फीस वृद्धि नए H‑1B आवेदन को घटा सकती है और कंपनियों को और अधिक ऑफशोरिंग की ओर प्रेरित कर सकती है। 

नए नियमों पर लागू सीमाएं
हालांकि नए प्रस्ताव से भारी बदलाव दिख रहे हैं लेकिन कुछ सीमाएं हैं जो भारतीय पेशेवरों के लिए राहत बनेगी। सबसे अहम बात पहले से सक्षम H‑1B होल्डर्स, नवीनीकरण आवेदन या पहले से स्वीकृत आवेदन इस $1,00,000 फीस से प्रभावित नहीं होंगे। इसके अलावा ये शुल्क एक बार लागू होगा न कि हर साल। 

आगे की राह चुनौतियों भरी
ये मसौदे का अभी अंतिम रूप नहीं है। इसे सार्वजनिक सुझाव के लिए रखा गया है और संभावित कानूनी लड़ाइयां भी शुरू हो चुकी हैं। भारतीय आईटी पेशेवरों को चाहिए कि वो इस प्रस्ताव की समीक्षा करें और कंपनियों को रणनीति बदलने की तैयारी रखें जैसे- वेतन संरचना, ऑनसाइट तैनाती, कंट्रैक्ट मॉडल और प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा।

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