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तालिबान मंत्री आमिर मुत्ताकी का ताजमहल दौरा आखिरी वक्त पर रद्द, दिल्ली से फोन आया!

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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का रविवार को ताजमहल घूमने का कार्यक्रम अचानक रद्द कर दिया गया। मुत्ताकी आगरा पहुंच चुके थे और उनकी योजना स्मारक पर करीब डेढ़ घंटे बिताने की थी। साथ ही पूर्वी गेट के पास एक होटल में दोपहर का खाना भी तय था। लेकिन कुछ ही देर पहले अधिकारियों ने बिना कारण बताए यात्रा रद्द कर दी।

दिल्ली से आया था फोन- आगरा पुलिस
आगरा पुलिस उपायुक्त सोनम कुमार ने बताया कि ताजमहल दौरे को रद्द करने का आदेश दिल्ली से आया था। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि आदेश क्यों दिया गया और कौन-सी एजेंसी ने इसे रद्द करवाया। वहीं, ताजमहल में मौजूद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी पुष्टि की कि दौरा कैंसिल कर दिया गया है लेकिन वजह बताने से इनकार कर दिया।

प्रेस कॉन्फ्रेंस विवाद के बाद उठे सवाल
आमिर मुत्ताकी की भारत यात्रा पहले से ही विवादों में घिरी रही है। दिल्ली में अफगान दूतावास में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं होने दिया गया, जिसके बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। विपक्ष ने इसे भारत की लोकतांत्रिक मूल्यों और महिला अधिकारों के खिलाफ बताया। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी और आयोजन पूरी तरह अफगान पक्ष का था।

भारत आए पहले सीनियर तालिबान मंत्री
तालिबान के सत्ता में आने के बाद आमिर मुत्ताकी पहले ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जो भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए हैं। हालांकि भारत ने अब तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। मुत्ताकी छह दिन की यात्रा पर हैं और इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की।

देवबंद में भी दिखी तालिबान की मौजूदगी
भारत में अपने प्रवास के दौरान मुत्ताकी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में स्थित प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया। देवबंद तालिबान के वैचारिक मूल स्रोतों में गिना जाता है, और मुत्ताकी की ये यात्रा एक अहम संकेत के रूप में देखी जा रही है।

ताजमहल ना देख पाने पर उठे राजनीतिक सवाल
तालिबान मंत्री का ताजमहल दौरा रद्द होना केवल एक औपचारिक निर्णय नहीं माना जा रहा। कई जानकारों का मानना है कि दिल्ली से आए इस आदेश के पीछे राजनीतिक और कूटनीतिक कारण हो सकते हैं। कुछ विशेषज्ञ इसे महिला पत्रकार विवाद से भी जोड़कर देख रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि भारत तालिबान को लेकर सावधानी से कदम बढ़ा रहा है।

भारत और तालिबान के रिश्तों में सावधानी
भारत, अफगानिस्तान में तालिबान के प्रभाव को लेकर अभी भी सतर्क है। हालाँकि मानवीय सहायता और सीमित संपर्क बनाए रखने की कोशिशें जारी हैं लेकिन औपचारिक मान्यता अब तक नहीं दी गई है। भारत की चिंता का बड़ा कारण तालिबान और पाकिस्तान के बीच नजदीकी, टीटीपी और सीमा पार आतंकवाद है।

बता दें कि तालिबान विदेश मंत्री का ताजमहल दौरा रद्द होना केवल एक सांस्कृतिक या व्यक्तिगत कार्यक्रम का बदलाव नहीं है। ये फैसला भारत और तालिबान के बीच चल रही सतर्क और सीमित कूटनीति की झलक देता है। यात्रा रद्द करने की असली वजह सामने न आना इस मसले को और रहस्यमय बना देता है।

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