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IPS अफसर की मौत की जांच अधर में लटकी, परिवार ने नहीं सौंपा लैपटॉप , अभी भी नहीं हुआ पोस्टमार्टम

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वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की संदिग्ध मौत के मामले में जांच की रफ्तार थम गई है। घटना को हुए छह दिन से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन अब तक पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है। पुलिस का कहना है कि परिवार ने अब तक वो लैपटॉप नहीं सौंपा है जिससे कथित तौर पर सुसाइड नोट टाइप किया गया था। लैपटॉप की जांच के बिना आगे बढ़ पाना मुश्किल है क्योंकि उसी में अहम डिजिटल सबूत छिपे हो सकते हैं।

लैपटॉप में छिपा है बड़ा राज?
पुलिस को शक है कि उस लैपटॉप में वाई पूरन कुमार का टाइप किया हुआ सुसाइड नोट मौजूद है। अब ये जानना जरूरी है कि वो नोट खुद उन्होंने लिखा या किसी और ने टाइप किया। इसके लिए फोरेंसिक टीम लैपटॉप में लगे फिंगरप्रिंट और ईमेल हिस्ट्री को जांचेगी। इससे यह तय हो सकेगा कि उस रात वाकई में क्या हुआ।

पोस्टमार्टम के बिना नहीं बढ़ सकती जांच
जांच टीम का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही ये तय हो पाएगा कि ये मामला आत्महत्या का है या कुछ और छुपाया जा रहा है। पुलिस को यह रिपोर्ट अदालत में बतौर सबूत पेश करनी है। लेकिन परिवार की ओर से पोस्टमार्टम के लिए अब तक हरी झंडी नहीं मिली है।

शव सड़ने लगा, सबूत भी खत्म हो सकते हैं
घटना को छह दिन बीत चुके हैं और इस देरी से बड़ा नुकसान हो रहा है। शव अब सड़ने लगा है जिससे बारूद के अवशेष, कपड़ों पर निशान और शरीर पर मौजूद जरूरी फोरेंसिक नमूने खराब हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पोस्टमार्टम में हो रही देरी के चलते कई अहम सबूत अब शायद मिल ही ना सकें।

मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में हो सकता है पोस्टमार्टम
कानून के अनुसार अगर मृतक का परिवार पोस्टमार्टम के लिए रजामंद नहीं होता तो पुलिस मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में ये प्रक्रिया कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक अगर परिवार मान जाता है तो चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल में पोस्टमार्टम किया जाएगा । जिसमें बैलिस्टिक एक्सपर्ट, मजिस्ट्रेट और परिवार के लोग भी मौजूद रहेंगे। बैलिस्टिक जांच से यह साफ हो सकता है कि गोली उसी हथियार से चली थी जो अधिकारी के पास था या कोई और हथियार इस्तेमाल हुआ। ये जांच इस केस की दिशा तय कर सकती है।

कॉल डिटेल्स से मिले अहम सुराग
पुलिस ने अधिकारी के कॉल रिकॉर्ड्स खंगाले हैं जिनमें कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। घटना से पहले वाई पूरन कुमार ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों, वकील और कुछ जानकारों को कई बार कॉल किया था। एसआईटी अब इन लोगों से पूछताछ कर ये समझने की कोशिश कर रही है कि क्या बातचीत के दौरान उन्हें किसी तरह का दबाव या तनाव झेलना पड़ा था।

केस अब भी पहेली बना हुआ है
वाई पूरन कुमार की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और जांच अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। पोस्टमार्टम और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच के बिना सच्चाई तक पहुंचना मुश्किल होगा। अब सबकी नजर इस पर है कि परिवार कब जांच में सहयोग करता है ताकि इस रहस्यमयी मौत से पर्दा उठ सके।

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