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आखिर क्यों किसान जलाते हैं पराली? जानें Delhi की हवा को जहरीली बनाने का बड़ा कारण!

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दिल्ली और आसपास के इलाकों में सर्दियों के महीनों में एयर पॉल्यूशन की गंभीर स्थिति देखी जा रही है। नवंबर में खासकर पराली जलाने के मामलों और दिवाली के बाद स्थिति और भी बदतर हो जाती है। हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि दिल्लीवासियों को घने धुएं के बीच सांस लेना मुश्किल हो जाता है। हालांकि एयर पॉल्यूशन के पीछे कई वजह हैं, लेकिन एक अहम वजह भारत के उत्तरी राज्यों में किसानों का पराली जलाना है।

एयर पॉल्यूशन का सबसे बड़ा कारण
ये 8.19 प्रतिशत एयर पॉल्यूशन के लिए ज़िम्मेदार है। हालांकि हवा धूल के कणों को दिल्ली तक ले जाती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दियों के महीनों में ये आगे बढ़ना बंद कर देती हैं जिससे सतह की हवा घुट जाती है। वर्तमान कृषि अनुसंधान केंद्र (CARC) के अनुसार पराली जलाने से कई खतरनाक ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं। जिनमें कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (N2O) शामिल हैं जो बहुत अधिक मात्रा में होती हैं।

इस वक्त पराली जलाना जारी है। पराली जलाने से निकलने वाले प्रदूषक सतही हवा को रोकने का काम कर देते हैं, जिससे विजिबिलिटी कम हो जाती है और दम घुटने लगता है। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जनता को एक कड़ा संदेश देने के लिए कुछ किसानों को हिरासत में लिया जाना चाहिए। सरकारों के सख्त निर्देशों और उपायों के बावजूद हर साल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पराली जलाने की कई घटनाएं सामने आती हैं जिससे दम घुटने लगता है।

किसान संगठनों ने क्या कहा
भारतीय किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन क्रांति के नेताओं ने पराली जलाने के लगातार जारी रहने के कारणों को समझने के लिए एक बैठक की। नेताओं का कहना है कि किसानों के अपने अपने कारण हैं। छोटे किसान कई वजहों से पराली जलाते हैं। जिनमें समय की कमी, कम संसाधन और प्रशासन से कम सहयोग शामिल है।

पराली जलाने पर सज़ा
पंजाब सरकार ने इस सीज़न में किसानों के लिए कुल 15,613 फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें मंज़ूर की हैं। हालांकि, भारतीय किसान यूनियन (क्रांति) के एक नेता ने कहा कि ज़्यादातर मशीनें महंगी हैं और समय पर नहीं पहुंचते। केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर 2 एकड़ से कम ज़मीन वाले किसानों पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा, 2 एकड़ या उससे ज़्यादा लेकिन 5 एकड़ से कम ज़मीन वाले किसानों को 10,000 रुपये और 5 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन वाले किसानों को 30,000 रुपये का जुर्माना देना होगा।

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