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ये है दिवाली की 1.1 लाख रुपये प्रति किलो वाली मिठाई, जानिए क्यों है इतनी महंगी?

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दिवाली से पहले लोग सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण और धातु से बने बर्तन खरीदने के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन जयपुर में यह परंपरा खाने पीने के  बाज़ार में भी छा गई है। त्योहार कोई भी हो हम अक्सर मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं, लेकिन अगर मिठाई सोने-चांदी की हो और एक किलो की कीमत एक लाख रुपये से ज़्यादा हो तो? फ़ूड इनोवेटर और त्यौहार की संस्थापक अंजलि जैन ने दिवाली की मिठाइयों की एक पूरी श्रृंखला तैयार की है जो न केवल देखने में शानदार लगती है बल्कि आपकी जेब पर भी भारी पड़ सकती हैं। यह ब्रांड ऐसी मिठाइयों को बनाने के लिए जाना जाता है जो परंपरा और लज़ीज़ व्यंजनों का मिक्स हैं।

स्वर्ण प्रसादम
दिवाली से पहले त्यौहार ने जयपुर में सोने और चांदी की परत चढ़ी लक्ज़री मिठाइयां लॉन्च की हैं।  इस साल आप न सिर्फ़ सोने के गहने पहन सकते हैं बल्कि एक स्वादिष्ट मिठाई के रूप में इसका आनंद भी ले सकते हैं।
 इस मिठाई के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम चाहते थे कि यह मिठाई सिर्फ़ मीठी न हो, बल्कि स्वास्थ्य और शाही अंदाज़ का मिस भी हो।" इस लिस्ट में कई शानदार डिशेज भी शामिल हैं,

चाँदी भस्म भरत - 1,150 रुपये प्रति पीस 

स्वर्ण भस्म भरत - 1,950 रुपये प्रति पीस/ 85,000 रुपये प्रति किलोग्राम 
24 कैरेट काजू कतली - 3,500 रुपये प्रति किलोग्राम 
24 कैरेट पिस्ता लोंजे - 7,000 रुपये प्रति किलोग्राम
24 कैरेट लड्डू - 2,500 रुपये प्रति किलोग्राम

इस अभियान का टाइटल है, "सोना बाज़ार में आने से पहले ही मुंह में पिघल जाता है।" लेकिन यह ब्रांड न केवल व्यक्तिगत मिठाइयां बेचता है, बल्कि उनकी टीम ने हैम्पर्स भी तैयार किए हैं। इसमें 25 सोने की परत चढ़ी बकलावा की मिठाइयों का एक डिब्बा, लक्ज़री मिठाइयों का एक मिक्स डिब्बा और उनकी सबसे ज़्यादा बिकने वाली मिठाइयों का एक प्रीमियम पैकेज शामिल है।

सिर्फ सजावट के लिए ही नहीं होता इस्तेमाल
अंजलि जैन ने बताया कि स्वर्ण भस्म का उपयोग केवल सजावट के लिए ही नहीं है। उन्होंने आयुर्वेद से प्रेरणा ली है, जो भस्म को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला मानता है। 

अंजलि जैन कौन हैं? 
अंजलि जैन ने अपने करियर की शुरुआत एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के रूप में की थी और अपने जुनून को पूरा करने के लिए फ़ूड इनोवेटर बन गईं। वह अपने स्वादिष्ट डिशेज से दुनिया को जीतना चाहती थीं और महामारी के दौरान उन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाया।

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