Pakistan की परमाणु बम पर America का कब्जा... Musharraf के दोहरे खेल से Munir भी दंग! पूर्व CIA अधिकारी के दावे से मचा हड़कंप
- Ankit Rawat
- 25 Oct 2025 10:37:04 PM
पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाको ने आरोप लगाया है कि पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने लाखों डॉलर की सैन्य और वित्तीय सहायता के बदले पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार का नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया था। एक न्यूज एजेंसी मे दिए एक इंटरव्यू में किरियाको ने कहा कि मुशर्रफ़ के शासनकाल में अमेरिका को पाकिस्तान की सुरक्षा और सैन्य अभियानों तक लगभग पूरी पहुंच थी। उन्होंने कहा, "हमने लाखों डॉलर की सैन्य और वित्तीय सहायता दी है। बदले में मुशर्रफ़ ने हमें सब कुछ करने दिया।"
'भारत-पाकिस्तान युद्ध 2002 में होना ही था'
किरियाको ने ये भी दावा किया कि मुशर्रफ़ दोहरा खेल खेल रहे थे। खुलेआम अमेरिका के साथ खड़े होकर जबकि पाकिस्तानी सेना और चरमपंथी समूहों को भारत के ख़िलाफ़ आतंकवादी गतिविधियां जारी रखने की इजाज़त दे रहे थे। 2002 के भारत-पाकिस्तान तनाव का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, "2002 में भारत-पाकिस्तान युद्ध होना ही था। अमेरिकी अधिकारियों के परिवारों को इस्लामाबाद से निकाल दिया गया था। हमें लगा कि भारत और पाकिस्तान युद्ध में शामिल हो सकते हैं।"
उन्होंने संसद हमले के बाद 2001 में शुरू हुए ऑपरेशन पराक्रम का ज़िक्र किया और कहा कि अमेरिकी उप-विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच समझौता कराने के लिए दिल्ली और इस्लामाबाद का दौरा किया था। 2008 के मुंबई हमलों के बारे में, किरियाको ने कहा, "मुझे नहीं लगता था कि ये अल-क़ायदा था। मुझे हमेशा लगता था कि ये पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह थे और ये बात सही साबित हुई। पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैला रहा था और किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की।"
परमाणु वैज्ञानिक की सुरक्षा में सऊदी अरब की भूमिका
पूर्व सीआईए अधिकारी ने खुलासा किया कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को अमेरिकी हस्तक्षेप से बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। किरियाको के अनुसार सऊदी अरब ने अमेरिका को खान को निशाना न बनाने का निर्देश दिया था। जिससे वाशिंगटन को अपनी योजनाओं छोड़नी पड़ीं।
अमेरिकी विदेश नीति और वैश्विक शक्ति परिवर्तन की आलोचना
किरियाको ने अमेरिकी विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका खुद को एक लोकतंत्र के रूप में प्रस्तुत करता है। लेकिन वो मुख्य रूप से अपने स्वार्थ के लिए काम करता है। उन्होंने अमेरिका-सऊदी संबंधों को लेन-देन वाला बताया, जिसमें अमेरिका तेल खरीदता है और सऊदी अरब हथियार।
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