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भारत की ‘श्रापित नदी’! जिसका पानी छूने से भी डरते हैं लोग, छूने से नष्ट हो जाते हैं सारे पुण्य

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भारत में जहां गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी नदियों को पवित्र माना जाता है। वहीं एक ऐसी नदी भी है, जिसे लोग “अपवित्र” कहकर पूजने से भी डरते हैं। वो नदी है कर्मनाशा नदी। जिसका नाम ही अपने अर्थ में डर समेटे हुए है। इसका मतलब है कर्मों का नाश करने वाली। कहते हैं कि इस नदी के पानी को छू लेने या इसमें स्नान करने से इंसान के सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं। यही वजह है कि सदियों से लोग इस नदी के पानी का उपयोग किसी भी धार्मिक काम में नहीं करते।

त्रिशंकु की लार से बनी नदी
पौराणिक कथा के मुताबिक, कर्मनाशा नदी की उत्पत्ति राजा त्रिशंकु की लार से हुई थी। कहते हैं कि जब ऋषि विश्वामित्र ने त्रिशंकु को स्वर्ग भेजना चाहा तो देवताओं ने उन्हें नीचे गिरा दिया। उस दौरान उनके मुंह से निकली लार पृथ्वी पर गिरी और वहीं से ये नदी बनी। इसी वजह से इसे श्रापित नदी कहा जाता है।

कर्मनाशा को छूने से डरते हैं लोग
स्थानीय मान्यता के मुताबिक, सांप के काटे व्यक्ति को तो बचाया जा सकता है लेकिन जो कर्मनाशा का पानी पी ले या इसमें स्नान कर ले वो कभी नहीं बच सकता। यही वजह है कि इस नदी के किनारे बसे लोग न तो इसके पानी से स्नान करते हैं, न पूजा करते हैं और न ही खेती या सिंचाई में इसका इस्तेमाल करते हैं। वाराणसी के पास रहने वाली एक महिला कहती हैं, “कर्मनाशा के पानी का उपयोग कोई नहीं करता। ये नदी अशुद्ध मानी जाती है। इसके पानी से पूजा-पाठ करना अपशकुन माना जाता है।”

गंगा की है उपनदी
भौगोलिक रूप से कर्मनाशा नदी गंगा की एक उपनदी है। इसकी शुरुआत बिहार के कैमूर पहाड़ियों के अधौरा और भगवानपुर इलाके से होती है। ये नदी लगभग 192 किलोमीटर लंबी है। जिसमें 116 किमी उत्तर प्रदेश और 76 किमी बिहार में बहती है। उत्तर प्रदेश के चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र और गाजीपुर जिले इसके पश्चिमी किनारे पर हैं जबकि बिहार के कैमूर और बक्सर जिले इसके पूर्वी किनारे पर। आखिर में ये नदी बक्सर के चौसा के पास जाकर गंगा में मिल जाती है।

आकर्षण का है केंद्र
भले ही लोग कर्मनाशा को “श्रापित नदी” मानते हों लेकिन इसके रहस्य और मान्यताओं की वजह से ये नदी आज भी लोगों के लिए जिज्ञासा का केंद्र बनी हुई है। लोग यहां आकर दूर से दर्शन करते हैं लेकिन पानी को छूने से बचते हैं। कहते हैं कि जो भी इस नदी के पानी का प्रयोग करता है। उसके अच्छे कर्म मिट जाते हैं शायद इसी वजह से कर्मनाशा आज भी भारत की सबसे रहस्यमयी और भयभीत करने वाली नदी मानी जाती है।

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