Bhutan से लौटते ही PM Modi पहुंचे LNJP हॉस्पिटल, Delhi Blast के घायलों से की मुलाकात, कही ये बड़ी बात!
- Ankit Rawat
- 12 Nov 2025 06:04:08 PM
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम हुए कार बम विस्फोट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है, जबकि करीब 20 लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों का इलाज दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में जारी है। विस्फोट के बाद राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
इस मामले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी गई है। शुरुआती जांच में इस धमाके का संबंध फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसका खुलासा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल ही में किया था। इस मॉड्यूल से जुड़े कई डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया है। जांच एजेंसियों के अनुसार इनके पास से अब तक करीब 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की जा चुकी है।
डॉक्टर उमर मुख्य संदिग्ध
जांच में संकेत मिले हैं कि इस मॉड्यूल का एक सदस्य डॉक्टर उमर मोहम्मद जो फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत था उसने घबराहट में आकर इस धमाके को अंजाम दिया। एजेंसियों को शक है कि डॉक्टर उमर ही इस नेटवर्क का मुख्य संचालक था। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां उसके संपर्कों और संभावित सहयोगियों की तलाश में जुटी हैं।
प्रधानमंत्रीने कहा- दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो सोमवार को भूटान दौरे से लौटे एयरपोर्ट से सीधे एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे और घायलों से मुलाकात की। उन्होंने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। पीएम मोदी ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “इस घटना को अंजाम देने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।” लौटने के बाद प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक बुलाई है, जिसमें देश की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा होगी।
PAFF कनेक्शन की जांच जारी
जांच एजेंसियां इस धमाके के PAFF (People’s Anti-Fascist Front) कनेक्शन की भी जांच कर रही हैं। यह संगठन आतंकी संगठन जैश- ए-मोहम्मद का शैडो ग्रुप माना जाता है और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय है। एजेंसियों का मानना है कि यह मॉड्यूल PAFF के निर्देश पर काम कर रहा था।
अभी भी 300 किलो विस्फोटक बरामद होना बाकी
एनआईए सूत्रों के मुताबिक अब तक लगभग 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया जा चुका है। लेकिन करीब 300 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट अभी भी अलग-अलग जगहों पर छिपा होने की आशंका है। इसे बरामद करना एजेंसियों के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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