Delhi धमाके के पीछे Turkey कनेक्शन! आतंकी डॉक्टरों के हैंडलर ने रची गजवा-ए-हिंद की साजिश, मिला अहम सुराग
- Ankit Rawat
- 12 Nov 2025 06:58:10 PM
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों को तुर्की कनेक्शन के पुख्ता सबूत मिले हैं। पकड़े गए आतंकी डॉक्टर उमर और मुजम्मिल तुर्की गए थे। जहां उनकी मुलाकात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर से हुई थी। अब साफ होता जा रहा है कि दिल्ली ब्लास्ट कोई अलग घटना नहीं थी बल्कि इसके पीछे भारत में बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था।
कट्टरपंथी नेटवर्क का खुलासा
सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर उमर और मुजम्मिल के साथ-साथ श्रीनगर और अनंतनाग की दो महिला डॉक्टर भी इस नेटवर्क का हिस्सा थीं। जांच में सामने आया है कि इन सभी को मौलवी इरफान ने कट्टरपंथ की राह पर डाला। वो कश्मीर में अपने अस्पताल में काम करते हुए इन डॉक्टरों को अपने संपर्क में लाया और धीरे-धीरे उन्हें उग्र विचारधारा की तरफ मोड़ा।
मौलवी इरफान ने उन्हें ‘गजवा-ए-हिंद’ जैसे खतरनाक एजेंडे के बारे में बताया और हिंदू-विरोधी सोच फैलाने का काम किया। इसके बाद इस ग्रुप ने भारत के अलग-अलग राज्यों में स्लीपर सेल एक्टिवेट करने और नए लोगों को जोड़ने की साजिश रची।
भारत में बड़े हमले की थी तैयारी
जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार लोग एक कोर ग्रुप का हिस्सा थे, जो पूरे देश में बड़े हमलों की प्लानिंग कर रहा था। ये लोग जानते थे कि बिना योजना के हमला करना बेकार होगा। इसलिए उन्होंने रणनीतिक जगहों जैसे दिल्ली के अहम ठिकाने, मंदिर और अस्पताल को निशाने पर रखा। उनका मकसद था देशभर में डर और अफरातफरी फैलाना।
गायब ब्रेजा कार बनी रहस्य
अब जांच का फोकस एक ब्रेजा कार पर है जो गिरफ्तार महिला डॉक्टरों में से एक शाहीना से जुड़ी बताई जा रही है। एजेंसियों को शक है कि उसी गाड़ी में विस्फोटक सामग्री थी। फिलहाल वो कार अभी तक नहीं मिली है। पुलिस की कई टीमें इसकी तलाश में जुटी हैं और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
डिजिटल सबूतों से खुला विदेशी फंडिंग का राज
डिजिटल फोरेंसिक जांच में एजेंसियों ने दोनों महिला डॉक्टरों के बीच 400 से ज्यादा एन्क्रिप्टेड चैट बरामद किए हैं। इनमें उन्होंने फंड ट्रांसफर और सुरक्षित ठिकानों पर बातचीत की थी। जांच में सामने आया है कि डॉक्टरों में से एक को 2023 और 2024 के बीच तुर्की और दोहा से डिजिटल वॉलेट के जरिए फंड मिले थे। माना जा रहा है कि ये पैसे आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे।
भारत में फैल रहा विदेशी नेटवर्क
अब एनआईए और इंटेलिजेंस एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि तुर्की में कौन हैंडलर था जिसने डॉक्टर उमर और मुजम्मिल की मदद की। ये केस अब सिर्फ दिल्ली ब्लास्ट तक सीमित नहीं रहा बल्कि भारत में अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क की जड़ें खोजने की कोशिश शुरू हो चुकी है।
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