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10 साल में सबसे बड़ी राहत, अक्टूबर में महंगाई दर सिर्फ 0.25%, खाने-पीने की चीजें सस्ती हुईं

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देश में महंगाई के मोर्चे पर आम जनता को बड़ी राहत मिली है। अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर (CPI) में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सरकार द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में महंगाई दर घटकर सिर्फ 0.25 फीसदी पर आ गई है, जो साल 2012 के बाद से सबसे कम है। सितंबर में यही दर 1.44 फीसदी थी। महंगाई में ये गिरावट खास तौर पर खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने की वजह से आई है। फूड इंडेक्स अक्टूबर में -5.02 फीसदी पर पहुंच गया, जबकि सितंबर में ये -2.3 फीसदी था। इसका मतलब है कि अनाज, सब्जियों, तेल और दालों जैसी जरूरी चीजों के दाम और भी घटे हैं।

गांव और शहर दोनों में सस्ती हुई जिंदगी
गांव और शहर दोनों इलाकों में लोगों को राहत मिली है। ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर अक्टूबर में -0.25 फीसदी रही, जबकि सितंबर में ये 1.07 फीसदी थी। वहीं शहरी इलाकों में महंगाई दर 0.88 फीसदी दर्ज की गई, जो सितंबर के 1.83 फीसदी से कम है। ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन सेक्टर में भी राहत दिखी है। अक्टूबर में इस सेक्टर की महंगाई दर 0.94 फीसदी रही, जबकि सितंबर में ये 1.82 फीसदी थी। हालांकि फ्यूल और लाइट सेक्टर में दर 1.98 फीसदी पर स्थिर रही।

जीएसटी रिफॉर्म का असर दिखा
महंगाई घटने के पीछे जीएसटी रिफॉर्म्स का भी बड़ा योगदान माना जा रहा है। हाल ही में केंद्र सरकार ने कई जरूरी सामानों पर टैक्स में कटौती की थी, जिसका असर अब खुदरा बाजार में दिखाई देने लगा है। 22 सितंबर 2025 से लागू नए जीएसटी रिफॉर्म्स ने खाने-पीने और रोजमर्रा के सामान को सस्ता किया है। इससे उपभोक्ताओं को सीधी राहत मिली है और कुल मिलाकर बाजार में कीमतें स्थिर हुई हैं।

आरबीआई की जिम्मेदारी
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को खुदरा महंगाई को 4 फीसदी के आसपास रखने की जिम्मेदारी दी है। इसमें 2 फीसदी ऊपर या नीचे जाने की गुंजाइश रहती है। यानी अगर महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के बीच रहती है, तो आरबीआई को हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता। अक्टूबर की 0.25 फीसदी की दर इस लक्ष्य से काफी नीचे है, जो बताती है कि फिलहाल देश की अर्थव्यवस्था स्थिर और नियंत्रण में है।

जनता को सीधा फायदा
महंगाई घटने का मतलब है कि अब रोजमर्रा की चीजें पहले से सस्ती मिलेंगी। तेल, दाल, सब्जी, अनाज और परिवहन खर्च में आई कमी से लोगों के बजट को सीधी राहत मिली है। अगर ये ट्रेंड अगले कुछ महीनों तक जारी रहा, तो त्योहारों के मौसम में लोगों की जेब पर बोझ काफी हल्का रहेगा।

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