Mohammad Bhagwat के बयान का Maulana Khalid Rashid ने क्यों किया समर्थन, ऐसी क्या थी वजह?
- Ankit Rawat
- 30 Aug 2025 03:25:34 PM
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान ने देश में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवादों पर एक नई बहस छेड़ दी है। इस बीच आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य और लखनऊ की प्रसिद्ध ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने भागवत के बयान का खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों पर अनावश्यक विवाद अब खत्म होने चाहिए क्योंकि देश का संविधान और कानून इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश दे चुके हैं।
क्या कहा मौलाना खालिद रशीद ने?
मौलाना खालिद रशीद ने मोहन भागवत के उस बयान का स्वागत किया, जिसमें उन्होंने धार्मिक स्थलों पर नए विवादों को बढ़ावा न देने की बात कही थी। मौलाना ने कहा कि देश में 1991 में पारित प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट में साफ लिखा है कि 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थल जिस स्थिति में थे उन्हें उसी स्थिति में रखा जाएगा। इस कानून में केवल अयोध्या का मामला अपवाद रखा गया था। मौलाना ने ये भी याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में इस कानून को और मजबूती दी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सभी नागरिकों को इस कानून का पालन करना होगा।
"देश संविधान और कानून से चलता है"
मौलाना खालिद रशीद ने जोर देकर कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो संविधान और कानून के आधार पर चलता है। जब संसद और सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थलों की स्थिति को लेकर स्पष्ट नियम बना दिए हैं तो बार-बार इस मुद्दे को उठाकर विवाद पैदा करना गलत है। उन्होंने कहा, "जब कानून में सब कुछ साफ है तो फिर नए विवाद खड़े करने का क्या मतलब? इससे देश का माहौल खराब होता है और समाज में तनाव बढ़ता है।"
भागवत के बयान से समाज में भाईचारा बढ़ेगा
मौलाना ने RSS प्रमुख के बयान को एक सकारात्मक कदम बताया। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का ये कहना कि धार्मिक स्थलों पर अब और विवाद नहीं होने चाहिए समाज में भाईचारे और आपसी सौहार्द को बढ़ावा देगा। मौलाना ने इसे देश की एकता के लिए जरूरी बताया और कहा कि इस तरह के बयान समाज को जोड़ने का काम करते हैं।
राजनीतिक दलों से खास अपील
मौलाना खालिद रशीद ने राजनीतिक दलों और संगठनों से भी अपील की है कि वो धार्मिक मुद्दों को राजनीति से दूर रखें। उन्होंने कहा कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब हमारी सबसे बड़ी ताकत है और इसे बचाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। धार्मिक विवादों को हवा देने से देश की एकता कमजोर होती है जबकि आज के समय में शांति और आपसी विश्वास की सबसे ज्यादा जरूरत है।
क्यों अहम है ये बयान?
मौलाना खालिद रशीद का ये बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये धार्मिक समुदायों के बीच तनाव को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। RSS और मुस्लिम समुदाय के बीच इस तरह की सकारात्मक बातचीत देश में सामाजिक सौहार्द को और मजबूत कर सकती है। मौलाना ने साफ कहा कि अब समय है कि हम विवादों को पीछे छोड़कर देश की तरक्की और एकता पर ध्यान दें।
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