Vice President Election : NDA के पास साफ बहुमत, फिर भी क्यों जीत का दावा कर रहा है विपक्ष?
- Shubhangi Pandey
- 08 Sep 2025 03:35:14 PM
देश की सियासत इन दिनों उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर गरमाई हुई है। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से ये पद खाली है और अब सभी की निगाहें 9 सितंबर को होने वाले चुनाव पर टिकी हैं। एनडीए की ओर से सीपी राधाकृष्णन उम्मीदवार हैं जबकि इंडिया गठबंधन ने बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। आंकड़ों के लिहाज से एनडीए की जीत लगभग तय मानी जा रही है लेकिन विपक्ष लगातार 100 फीसदी जीत का दावा कर रहा है। बड़ा सवाल ये है कि आखिर विपक्ष किस आधार पर इतने आत्मविश्वास से भरा हुआ है।
सांसदों का गणित क्या कहता है?
वर्तमान में संसद में कुल 782 सांसद हैं। इनमें लोकसभा के 542 और राज्यसभा के 240 सदस्य शामिल हैं। उपराष्ट्रपति बनने के लिए 392 वोट जरूरी हैं। एनडीए के पास कुल 405 सांसदों का समर्थन बताया जा रहा है। इसमें लोकसभा के 293 और राज्यसभा के 112 सांसद शामिल हैं। वहीं विपक्ष के पास लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर 355 सांसदों का समर्थन है। यानी बहुमत से विपक्ष सिर्फ 37 वोट पीछे है। ऐसे में गणित साफ तौर पर एनडीए के पक्ष में है लेकिन मामला पूरी तरह आसान भी नहीं दिख रहा।
100 सांसद बना सकते हैं खेल
रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 100 सांसद ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक ये साफ नहीं किया है कि वो किसके पक्ष में वोट डालेंगे। इन्हीं सांसदों को लेकर कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन का भरोसा बढ़ा हुआ है। विपक्ष का मानना है कि इनमें से कुछ सांसदों का रुख बदल सकता है और अगर ऐसा हुआ तो वो बहुमत तक पहुंच सकते हैं। यही वजह है कि विपक्ष का दावा लगातार मजबूत होता दिख रहा है।
NDA की बढ़त लेकिन विपक्ष की रणनीति भी तेज
एनडीए के पास अभी भी सीधा बहुमत है और उनके उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है। लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है और इसी संभावना पर विपक्ष दांव खेल रहा है। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन लगातार कोशिश कर रहे हैं कि छोटे दलों और नाराज सांसदों को अपने पक्ष में किया जाए।
क्यों दिलचस्प हो गया चुनाव?
आमतौर पर उपराष्ट्रपति का चुनाव इतना सुर्खियों में नहीं आता लेकिन जगदीप धनखड़ के इस्तीफे और अचानक गायब होने से इस पद को लेकर लोगों में उत्सुकता काफी बढ़ गई है। अब हर कोई ये जानना चाहता है कि आखिर 9 सितंबर को संसद किसे देश का नया उपराष्ट्रपति चुनेगी। कुल मिलाकर एनडीए के पास आंकड़ों का मजबूत आधार है लेकिन विपक्ष भी आखिरी समय तक हार मानने को तैयार नहीं है। अब देखना ये होगा कि क्या एनडीए की बढ़त कायम रहती है या विपक्ष कुछ नया खेल दिखाता है। 9 सितंबर को इसका जवाब साफ हो जाएगा।
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